Ekta Agrawal  
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Joined 25 November 2017


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Joined 25 November 2017
18 APR AT 21:23

मृत्यु से पहले
ना मरें,
मोक्ष से कम है क्या!

अपेक्षा ना करें
उपेक्षा ना करें,
मोक्ष से कम है क्या!

तुम कहो
हम ना डरें,
मोक्ष से कम है क्या!

तुम्हारी रिक्तता को
हम भरें,
मोक्ष से कम है क्या!

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18 APR AT 21:15

सुंदर क़लम मिल जाए
तो तहरीर उतार देती है
ये स्याही....
जो निब टूट जाए
तो ऐसे धब्बे छोड़ देती है
ये स्याही....
मगर
इस स्याही का दबदबा
बस सफेद रंग पे ही चलता है,
जो कागज़ काला हो
तो नूर खो देती है
ये स्याही....

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11 APR AT 23:35

ये कोरे पड़े पन्ने
सुबूत नहीं इस बात का
कि एहसास मर चुके हैं....

हो सकता है
उन्हें शब्दों का अभाव हो
या किसी शख्सियत का प्रभाव हो,
या फिर छुपाने का स्वभाव हो.....

बेशक
ये नितांत व्यक्तिगत निर्णय है,
कि वजूद को बिखरने देना है
या समेटने की चेष्टा करते रहना है.....

लेकिन
ख़ाली कागज़ से किसी की ज़िंदगी का रीतापन ही प्रदर्शित होता हो..... जरूरी नहीं...
शायद
वो खुद भी रुसवा नहीं होना चाहता हो,
और ....ना किसी को तसव्वुर में लाना चाहता हो....

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10 APR AT 8:47

बस हम ही अपने लिए
कुछ कर ना पाए .....

ऐसा भी नहीं कि मैं सक्षम नहीं था,
कभी रिश्ते ...कभी जज़्बात
संभल नहीं पाए.....

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10 APR AT 8:40

बैचेन रहता मन
शिथिल पड़ता तन
एकांत या अकेलापन!

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9 APR AT 9:42

हमारा अपना देश
हमारा अपना इतिहास...
हमारी अपनी संस्कृति
हमारे अपनी संस्कार....
गुड़ी पड़वा, नव संवत्सर और प्रथम नवरात्र की अनंत शुभकामनाएं....
अपनी सभ्यता... साहित्य... धर्म और आध्यात्म को सहेजें और बढ़ाएं......

( चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, युगाब्द 5126
विक्रम संवत 2081)

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4 APR AT 13:33

पर्दे में प्यार
तौहीन है... या दरकार!
कशमकश से भरे जज़्बात
जीना भी मुश्किल... मरना भी दुश्वार!
आजादी की कीमत पर
बेड़ियों में जकड़ा संसार,
ना आसमान मिला... ना पर
तक़दीर में आई मजार.....
एक के हिस्से हक़... ज़िद-औ-जीत तमाम
दूजे के नसीब हार
क्या ऐसा ही होता है प्यार!!

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4 APR AT 13:25

छिपे हैं
ना जाने कितने राज़...
कितने एहसास
तौर-तरीके ...रीत-ओ-रिवाज़....
हर पत्थर कुछ कहता सा
हर खम्भा कुछ सहता सा.....
हर गगनचुम्भी महल की नींव दरकी होगी
हर तहखाने की दीवार भी चटकी होगी......
हर कमरा गलियारा किसी का ख़ास होगा
हर खंडहर का सुनहरा सा इतिहास होगा......

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4 APR AT 13:17

ये क्या!
किताब में रखा गुलाब आज भी ताज़ा सा है...
यानि..... इश्क़ अभी खुमार तक पहुंचा नहीं....

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1 APR AT 9:01

किसी नेक कार्य के बदले अगर कटु वचन मिलते हों
तो सहज रहना...
किसी अच्छाई के बदले अगर बुराई मिलती हो
तो भी स्वयं को ना बदलना....

ये आपके धैर्य का इम्तिहान है
जिस पर प्रतिक्रिया दिये बिना आपको संयत रहना है....
ये आपके व्यक्तित्व के निखार और आत्मबल की वृद्धि हेतु परीक्षा है
जिसमें आपको उत्तीर्ण होना ही होना है....

आपको अपनी योग्यता प्रदर्शित नहीं... सुनिश्चित करनी है!

आपके विचारों का क्रियान्वयन... आपके व्यवहार से होना चाहिए,
ना कि आपके विचारों का उन्नयन... दूसरों के व्यवहार से...

स्मरण रहे....
आपको अपना अस्तित्व कैसा रखना है
ये बस आप जानते हैं.....दूसरे नहीं!

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