16 MAY 2018 AT 23:47

हाँ थक तो गए हम
ख़ुद की सोच से नहीं पर लोग क्या कहेंगे सोचकर
ख़ुद से ज़्यादा दूसरों के लब्ज़ो से
कुछ मिलेगा या नहीं यही सोचकर रुक जाने से
कब होगा ये काम और भाग्य के आज़माने से
निराश होकर ख़ुद को कोसने से
हाँ थक तो गए जीवन को बोझिल समझने से
पर क्या थक जाना ही जीवन है
उठे ओर सोचे अपने आप से
क्यूँ सोचना है उन लोगों का जिनका काम ही है
कब तक बैठे रहेंगे हार जाने के डर से
क्या कभी बिन नौका में बैठे सागर पर हुआ है
बोझ तो हमारी सोच है ज़िन्दगी नहीं
अंधेरो का चीर तो एक छोटा दीप भी करता है
दाने चुन चुन कर चींटी भी कुनबा पालती है
नहीं थक सकते हम ऐसे ही हाथ पर हाथ रखे
सब कुछ करेंगे ओर नहीं थकेंगे .......

- Durga