15 JAN 2018 AT 23:28

सोज़, जफ़ा, ख़लिश, अज्जियत, आह-ओ-ज़ारी..
सहरा-ए-तमन्ना मे रुस्वा इज्तेराब था..
पिंदारे मुहब्बत कहो या कहो बेख़ुदी-ए-शौक..
इस गर्दिशे अय्याम मे वो ही कफ़े-सय्याद था....

- Dronika