विलीन हो जाते हैं जिस्म अंत में, बेशक इस मिट्टी में,
कुछ अविस्मरणीय आवाजें मगर सदैव अमर रहती हैं✨— % &-
Drishti Sharma
(Drishti Sharma)
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शब्द खत्म हो सकतें हैं, एहसास नहीं :- दृष्टि शर्मा🍁
Joined 11 January 2020
6 FEB 2022 AT 20:19
29 JAN 2022 AT 10:43
कुछ अल्फाज़ कहीं दबे से हैं,
कुछ अल्फाज़ उतरे नहीं है पन्ने पर.....-
27 JAN 2022 AT 14:53
मेरी तकलीफों में मुझे अकेला नहीं छोड़ता,
मेरी खुशियों में अक्सर वो दिखाई नहीं देता....-
25 JAN 2022 AT 22:56
जो अपने फायदे के लिए दल बदल लें,
उन राजाओं के राज में देश क्या ही विकास करेगा....-
25 JAN 2022 AT 14:19
ज्यादा दोस्त नहीं है उसके, वो गुमसुम सा रहता है,
बस तुम मेरी और सिर्फ मेरी हो, वो अक्सर ये कहता है....-
17 NOV 2020 AT 22:46
ख्वाबों में मिलकर हर रोज यूँ तरसाते हो मुझे,
हकीकत में इन्हें बदलकर इक रोज सुकून भी दो ना मुझे.....-
19 JAN 2022 AT 0:09
हर बार शुरुआत लिखकर उसे अधूरा ही छोड़ देती हूँ,
वो एक वाकया आजतक अधूरा है.....-
19 JAN 2022 AT 0:00
तन्हा रहूँ या हजारों में,
हर पल महसूस होते हो तुम
और तुम ही हो हर पल यादों में....-
16 JAN 2022 AT 22:07
जब भी मैं बहुत खुश दिखती हूँ,
तब अक्सर मैं,
अपनी कल्पनाएँ लिखती हूँ....-