न गुफ़्तगू किसी से, न उम्मीदों का तानाबाना,न शिकवे बयाँ किये, न शिकायतों को संवारा, कितने अमन से घर में उदास रहती हूँ। - ©Divyasha Om
न गुफ़्तगू किसी से, न उम्मीदों का तानाबाना,न शिकवे बयाँ किये, न शिकायतों को संवारा, कितने अमन से घर में उदास रहती हूँ।
- ©Divyasha Om