19 SEP 2017 AT 21:48

न गुफ़्तगू किसी से, न उम्मीदों का तानाबाना,
न शिकवे बयाँ किये, न शिकायतों को संवारा,

कितने अमन से घर में उदास रहती हूँ।

- ©Divyasha Om