divyansh pratush   (दिव्यांश)
108 Followers · 20 Following

दिल बहलाने आये मेरा सभी

तू भी फुरसत हो तो आकर मिल कभी ।
Joined 12 May 2018


दिल बहलाने आये मेरा सभी

तू भी फुरसत हो तो आकर मिल कभी ।
Joined 12 May 2018
5 DEC 2020 AT 20:27

वो पिता है बतलायें कैसे।

कि तुम्हारे दो वक्त के निवाले के लिए
ज़लालतें भी झेलें है।

-


1 SEP 2020 AT 22:29

सबरी के झूठे बेर खाते है
सुग्रीव जैसे दुखियारे को गले लगाते है
हनुमान की भक्ति में बसते है
राम राजभवन से कही अधिक वन में जाचते है ।
राम निषाद राज के मित्रता में है
अहिल्या के निश्चल पवित्रता में है
राम जटायू के त्याग में रहते है
राम तो सरयू के तट में बसते है
राम रावण में हैं
राम तो कण कण में है

-


8 AUG 2020 AT 22:36

बाल सफेद कन्धे झुक गए है
बाबूजी मेरी ख्वाहिशो के लिए कही रुक गए है।
गाल पे झुर्रियां और धुंधली आँखों की रोशनी है
मेरे इर्द गिर्द घूमती अब उनकी सारी कहानी है ।

-


26 JUL 2020 AT 20:06

ये बादलो वाली हसीन शाम रहने दो
इस रिश्ते को अब नाम न दो इसे गुमनाम रहने दो
वो अधूरी दास्तान को अब एक अनकहा पैगाम रहने दो मुझे वापस न लाओ इश्क मे मुझे बस परेशान रहने दो

-


24 JUL 2020 AT 23:03

Dear बनारस
तुम्हारी गलियों में जीता हूँ
मैं ही तो शिव हूँ जो विष पीता हूँ
अस्सी की गंगा आरती की शाम हूँ
मैं लंका के कुहलड वाली चाय का नाम हूँ
मैं हर पल जलती वो मणिकर्णिका की आग हूँ
मैं बाबा विश्वनाथ पे लिपटा बशुकीनाथ नाग हूँ
रात की खामोशी में मौजूद हूँ
मैं सती के बैगर शिव का वजूद हूँ
मैं औघड़ सन्यासी नागा साधु हूँ
मैं फैकल्टी के टंकी पे लगा मधुमखी का मधु हूँ
मैं कुंदन और ज़ोया का बनारस हूँ
मै बिश्मिल्ला खान का शहनाई वाला पारस हूँ
मैं साजन राजन मिश्र के गले का सुर हूँ
मैं खड़ा बुद्ध की शान्ति सन्देश का वो नूर हूँ ।
मैं हर पल मरता हूँ
मैं ही तो शमशान में जलता हूँ ।
मैं गंगा के नौका की मस्ती में हूँ
मैं मुरारी की दोस्ती में हूँ ।
मैं हर अधूरी प्रेम कहानी में शामिल हूँ
मैं अब शिव के वैराग के काबिल हूँ ।

-


21 JUN 2020 AT 9:34

अब बाबूजी के लिए एक दिन क्या दु
जिसने मेरे लिए अपनी पूरी जिन्दगी दे दी ।

-


14 JUN 2020 AT 22:17

हँस कर बस मुस्कुरा देते है
मेरी नाकामियों को बाबूजी कुछ इस तरह छिपा देते है।

-


8 JUN 2020 AT 0:30

इन शहरों की चकाचौंध ने भी क्या कुछ नही ले लिया
मुझसे अब घर जाने को भी त्यौहार ढूंढता हुँ मै ।

-


30 MAY 2020 AT 23:38

किसी दिन फिर लौट आना बनारस में
जब थक जाओ ज़िन्दगी में दौड़ते दौड़ते
तो बैठ कर करेंगे घाट किनारे फिर वही बातें
फिर किसी दिन दौड़ा देगे बाइक रात में
चलेंगे फिर उठ कर लंका की चाय पर साथ में
वो ढूंढ़गे वही यार दोस्त वही फैकल्टी वही शाम
थक जाए जब घूमते घूमते तो कर लेंगे जा के विटी पर विश्राम
फैकल्टी से लंका फिर पैदल ही चल देगे
रास्ते मे वो ढेर सारी बातें तुमसे कर देंगे
लौट आना किसी दिन बस बनारस में
मैत्री में कभी फिर बैठ कर करेंगे कुछ बातें
पता नही फिर कब होगी इन कमीनो से मुलाकाते ।

चले आना बस किसी दिन उस बनारस में
जहा अल्हड़ से समझदार हो गए
बचपने को छोड़ जिंदगी से वफादार हो गए

-


22 MAY 2020 AT 22:22

जिद आसमान को झुकने की है
तमन्ना जमाने को कुछ कर दिखलाने की है
गिरते पड़ते पहुँच ही जाओगे
घबराओ नही रास्ते से मंज़िल पर ही सुकून पाओगे ।

-


Fetching divyansh pratush Quotes