आत्म प्रशंसा सुनना इंसान की कमजोरी है। कई बार झूठे प्रशंसक इसी माध्यम से अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं। अचानक आपके सामने आया कोई अनजान व्यक्ति प्रशंसा के सेतु बना रहा है तो सावधान हो जाएं।
हर इंसान में कमियाँ हैं तो अच्छाइयाँ भी हैं। जिस दिन हम सतर्क दृष्टि से दूसरों में अच्छाई देखने लगेंगे, जीवन सरल हो जाएगा। सकरात्मक माहौल बनेगा। सब अच्छा होगा।
हवा जब फूलों से गुजरती है तो खुशबू दूर तक ले जाती है। इसी तरह अच्छे लोगों की संगत हमें नेक इंसान बनाती है और हमारे सद्कर्मों की खुशबू सुदूर तक बिखर जाती है।
यूँ तो दुआओं का कोई रंग नहीं होता पर जब ये रंग लाती हैं तो जिन्दगी रंगों से भर जाती है। दुआएँ लेते-देते रहें। एक पैसा नहीं लगेगा लेकिन खुशियाँ अपार मिलेंगी।
समय की कीमत बीतने के बाद और रिश्तों की कीमत व्यक्ति के खोने के बाद समझ आ जाती है। तब पश्चाताप करने का भी कोई फ़ायदा नहीं होता। रिश्तों को संजोकर रखें और समय पर जागरूक रहें। फायदा ही फायदा होगा
प्रेस को स्वतंत्रता चाहिए तो सब एक हों। अखबारों के दाम बढ़ें। टीवी न्यूज चैनल्स भी भुगतान लें। शुरू में तनिक दिक्कत होगी, पर थोड़ी सी आजादी महसूस करेंगे। मुँहदेखी नहीं करनी पड़ेगी। सच बोल, लिख पाएँगे। अन्यथा, दुनिया में हमारी रैंक 142वीं है ही। #WorldPressFreedomDay