चल आज कुछ लिखते है, कुछ मिटाते है, टूटे चीजों से चल कुछ नया बनाते है, चल आज कुछ लिखते है, कुछ मिटाते है, जो नहीं मिला उसे भुलाकर, कोशिशो का पुल बनाते है, अपनी हर हार से कुछ सीखकर, चल अब इस हार से, दरिया को पार कर ने का, पुल बनाते है, चल आज कुछ लिखते है, कुछ मिटाते है ||
जिस्मों से खेल कर, उसे प्यार का नाम दे दिया, और वक्त आया जब, रिस्तो की डोर में बंधने का तब, घर वाले नही मानेंगे ऐसा बोलकर छोड़ दिया, जब जिस्मों से खेलते थे तुम, मोहब्बत का नाम देकर, क्या तब तुम्हारे घर वालो ने, इस बात की हामी भर दी थी क्या?।। .......cont.
Dedicated to someone who always like my quote in this platform ( unknown person)
मेरी महफिल में आना बंद कर दिया है उन्होंने, कोई मुझे अब उस महफिल का पता बता दो, जहा अब वो जाने लगे है, हम भी तो देखे, इस क्या है उनकी महफिल में, जिसकी वजह से अब हम, अनजाने लगने लगे है
फिर किस्से कहानियों में, हमारा नाम भी एक दिन जरूर आएगा, मैं गुजरूंगा जिस गली से, वहा तुम हारा नाम जरूर आएगा, मेरी गली में तुम्हारा नाम, और तुम्हारी गली में मेरा नाम मशहूर हो जायेगा