17 JAN 2018 AT 15:33

अभी तो गुड्डे-गुड़ियों से खेलने की थी उम्र ,

पर कुछ शिकारी उसी के ज़िस्म से खेल गए......

गिद्धों से भी बदतर नोंच डाला उसका शरीर.....

हवस की वेदना में छिल गयी आबरू ,

सूख गया आँखों का नीर.......

काश उन भेड़ियों को तुझमे अपनी बेटी का अक्स

दिखता होता.....

तो, आज कोई बाप अपनी बेटी खोने का मातम न मना

रहा होता.........

- © Dimple Saini