Dikshant Walia   (Dikshant)
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इश्क के वैद्य
Joined 25 February 2017


इश्क के वैद्य
Joined 25 February 2017
19 APR 2022 AT 22:28

तेरे दर्द से जैसे.....
कोई दवा लगी हमें।
तूने बददुआ भी दी....
तो दुआ लगी हमें।।

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13 APR 2022 AT 23:49

गर हार महसूस, हो गई अपनी....
फिर चिंतन, थोड़ा सा कर लेना।
मरे हो जितना, जीत के लिए तुम....
थोड़ा ज्यादा सा, ओर मर लेना।।

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13 APR 2022 AT 20:23

सपनों में आकर के, इशारा कर जाती हैं...
वो यादें फिर से मुझे, आवारा कर जाती हैं।।

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12 APR 2022 AT 22:35

मतलब से सब, यार हैं बनते....
कद्र यहां ना, रिश्तों की।
महोब्बत में भी, बात कहां वो....
रह गई ये भी, किश्तों की।।

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11 APR 2022 AT 11:52

मां को तेरी, मां ही माने, वो है दोस्त....
गम में अक्सर, आए हंसाने, वो है दोस्त।
इस रिश्ते जैसी, मिसाल ना कोई...
तुझसे ज्यादा, तुझको जाने, वो है दोस्त।।

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10 APR 2022 AT 23:40

कुछ भूलना था मुझे....
अब याद ना आ रहा।
पता क्या....??
तेरा नाम!

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9 APR 2022 AT 15:38

तेरा शहर नया सा हो गया...
मेरी यादें अब भी पुरानी हैं।
मेरे हंसते चेहरे के पीछे....
एक दर्द भरी कहानी है।।

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8 APR 2022 AT 21:20

तैर कर हम, किनारे तो पहोंचे...
सब मंसूबे, ख़ाक कर गया।
हां इश्क़, आग का दरिया है...
जो हमें, राख कर गया।।

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7 APR 2022 AT 15:10

उसे आज़ादी प्यारी थी...
इक रस्ता ईजाद कर दिया।
हां इश्क़ से अपने...
उसे आजाद कर दिया।।

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7 APR 2022 AT 14:59

कहा था उसने....
"के तुम्हें बर्बाद करेंगे"!
जवाब था मेरा....
"हम फिर भी याद करेंगे"।।

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