DikShant   (Dikshant)
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XXIX •VIII •MCMXCIX 🎂
🗿
"Introvert" 👤
" Be your own stand up comedian " 🤡
Joined 13 December 2017


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14 FEB 2021 AT 2:34

I'll cheat one day

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5 APR 2020 AT 2:22


कर रही हो जो रकीब से , वो मोहब्बत है क्या ,
या मेरी अब भी तुमको ,थोड़ी ज़रूरत है क्या ,
मर्ग को जाते जाते मै लौट आया हूं ,
ख़त में लिखा है " क्यों आए हो " , मेरा जाना इतना ज़रूरी है क्या ।

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1 APR 2020 AT 5:37

खामोशी को इत्र सा खुद पर लगाएं हुआ है ,
घंटो बतियाने वाला , मेरा यार रूठा हुआ है ,
पूछूंगा एक दिन , क्या हाल है मेरे चांद का ,
पर कुछ वक्त लगेगा, एक तारा यहां भी टूटा हुआ है ।

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25 MAR 2020 AT 12:07

कल के दीदार को सोचकर ही बंद है चार दीवारों में ,
वरना कोन आशिक़ दूर रहा माशूका से , डर के चलते ।

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24 MAR 2020 AT 22:09

जान पर बात आई तो ठहरना सीख गए
कहते थे कभी , रुकना रुतबा नहीं हमारा ।
घर में रहना इतना तो मुश्किल नहीं था ,
पर हा, वो होता तो मन लग जाता हमारा ।

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23 MAR 2020 AT 0:15

रकीब परेशान बहुत है आज की ना - मुलाकात पर ,
और मैंने घर बैठे ही उसे याद कर लिया रोज़ की तरह ।

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18 MAR 2020 AT 3:39

शिकस्त ए-ज़िन्दगी को मै अभी मात नहीं मानता ,
मैं इश्क़ करता हूं इसमें हार-जीत नहीं जानता ,
मेरे बुजुर्गो ने देखा है दरिया जलते हुए लहू में ,
मै धर्म को तो मानता हूं लेकिन हिन्दू - मुसलमान नहीं जानता ।

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17 MAR 2020 AT 3:00

क्या इकरार , क्या इज़हर , क्या चाहत , ईमान नहीं जानता ,
मै खुद ही से इश्क़ सीख रहा हूं मोहब्बत में बेवफ़ाई नहीं जानता ।
तू चला तो चला , तू रुका तो थमा ., फिर तू गया और लौटा ही नहीं ,
मैं अब जाऊ तो जाऊ कहा , घर पहचानता हूं लेकिन पता नहीं जानता ।

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12 MAR 2020 AT 0:25

बारिश होने पर जो बच्चे गलियों मै दौड़ जाया करते थे ,
आज-कल अपने महबूब को बताते है " मौसम सुहाना है " ।

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5 MAR 2020 AT 4:22

बड़ी तवज्जों-ए-तरक्की मिलने पर भी खाली हाथ लौट आया ,
एक शायर जो बेवफाओं की बस्ती में अपनी ग़ज़ल सुना आया ।

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