"कृष्ण दीवानी"
आज शायद समझ रही हूँ,
राधा कृष्ण की प्रेम कहानी,
रुक्मणी न बन सकी हूँ,
पर बनी मैं कृष्ण दीवानी।।
प्यार अनंत मैं करती हूँ,
मगर कुछ ज़िम्मेदारियाँ भी हैं निभानी।
राधा जैसा प्रेम करने चली हूँ,
बुनने मैं एक नई कहानी।।
दूर होकर भी पास रहने लगी हूं,
प्यार नही रहा अब मेरा जिस्मानी।
हर पल उसको महसूस करने लगी हूँ,
करके राधिका सा इश्क रूहानी।।
प्यार में आज़ादी दे चुकी हूँ,
अब न करती कोई पहरेदारी।
हाँ मैं अब रंग चुकी हूँ,
तुम्हारे प्यार में कुंज बिहारी।।
आज शायद समझ रही हूँ,
राधा कृष्ण की प्रेम कहानी,
रुक्मणी न बन सकी हूँ,
पर बनी मैं कृष्ण दीवानी।।
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