देर रात सिसकियों ने झकझोड़ दिया मुझेगहन सन्नाटे में कुछ सूझ नहीं पा रहा थागालों पे आंसुओं का रेला सा लगा थामगर दर्द का लेषमात्र भी एहसास ना था।कल से अभी तक असमंजस में हूँक्या वाकई में वो मैं ही था!!!!!!! - Dhiraj
देर रात सिसकियों ने झकझोड़ दिया मुझेगहन सन्नाटे में कुछ सूझ नहीं पा रहा थागालों पे आंसुओं का रेला सा लगा थामगर दर्द का लेषमात्र भी एहसास ना था।कल से अभी तक असमंजस में हूँक्या वाकई में वो मैं ही था!!!!!!!
- Dhiraj