Dheeraj kumar nagar   (✍️धीरज कुमार नागर✍️)
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Joined 24 December 2017


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23 MAR 2023 AT 23:30

इस दिल को भी पड़ा रहने दो
चीज़ रखी हुई काम आती है

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14 DEC 2022 AT 1:06

Mile the hum dono kbhi
Sath nhi hai kyu abhi
मिले थे हम दोनो कभी
साथ नही है क्यों अभी
👇👇👇👇👇👇👇
(Read more in caption)

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5 APR 2022 AT 22:36

कभी किसी के सामने खूली क़िताब मत बनो
क्योंकि
खूली किताबें अक्सर पढ़कर फैक दी जाती है
या
फाड़ दी जाती हैं

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31 MAR 2022 AT 22:44


पतंग की डोर पकड़े रखो
की वो पतंग भी तुम्हारी रहे वो डोर भी तुम्हारे हाथ में रहे

अगर पतंगबाजी नही आती तो भी वो पतंग कटेगी ।
और अगर पतंगबाजी आती है , तो जोश में होश खोने पर पतंग कटेगी।
डोर छूटी तो वो पतंग कटेगी।
और ध्यान भटका तो भी वो पतंग कटेगी।


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31 MAR 2022 AT 22:43


पतंग की डोर पकड़े रखो
की वो पतंग भी तुम्हारी रहे वो डोर भी तुम्हारे हाथ में रहे

अगर पतंगबाजी नही आती तो भी वो पतंग कटेगी ।
और अगर पतंगबाजी आती है , तो जोश में होश खोने पर पतंग कटेगी।
डोर छूटी तो वो पतंग कटेगी।
और ध्यान भटका तो भी वो पतंग कटेगी।


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29 MAR 2022 AT 16:43

हम जिनके पीछे मरे जा रहे है
वो किसी और को अपनी जान दिए जा रहे है

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13 MAR 2022 AT 22:16

यार है
प्यार है
तैयार है
अरे छोड़ो साहब
सब बेकार है

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28 AUG 2021 AT 1:07

तोड़ दिया वो शीशा भी
जिसमे कल तक अपने आप को सवारता था
तोड़ दिया वो रिश्ता भी
कल तक जिसको मैं हा सिर्फ मैं ही संभालता था
तोड़ दिया वो एहसास भी
जिसमे वो मुझको कुछ मुझसा ही लगता था
तोड़ दिया वो अपना पन भी
जिसमे वो मुझको सिर्फ मेरा ही लगता था
तोड़ दिया वो सब कुछ मैने
जिसमे वो मुझको सबकुछ दिखता था
तोड़ दिया वो पहल का दायरा भी
जिसमे मैं हर एक पहल करता था
तोड़ दिया वो सिकायतो का दरिया भी
जिसमे मैं उससे किसी चीज को लेकर शिकायत करता था
आखिर कब तक यू ही करता रहता मैं पहरे दारी
कब तक यूही करता रहता बाते सुलझाने की सारी जिम्मेदारी
तो
तोड़ दिया वो सब मैंने
छोड़ दिया सब कुछ मैने
तोड़ दिया सब कुछ मैने
छोड़ दिया सब कुछ मैने

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22 AUG 2021 AT 23:39

चलो क्यू ना मिलो दूर चले
इस भीड़ भाड़ से परे, इस दौड़ भाग से परे
चलो क्यू ना मिलो दूर चले
इस रस्मो अदब से परे, इस जाति धर्म से परे
चलो क्यू ना मिलो दूर चले
इस शोर शराबे से परे, इस दो मुहैया दुनिया से परे
चलो क्यू ना मिलो दूर चले
इस बंद पिंजरे से परे, इस खून उगलते संसार से परे
चलो क्यू ना मिलो दूर चले
इस बनावट से परे, इस सजावट से परे
चलो क्यू ना मिलो दूर चले
इस अन्याय से परे, इस प्रयाय से परे
चलो क्यू ना मिलो दूर चले
जहा तुम हो जहा मैं हूं, जहा दिन भी हो जहा रात भी
जहा दोपहर में शांति भी हो, जहा बगियानो में फूल खिले
जहा सुंगदित माहोल में हम दो मिले, जहा सुबह के सूरज की किरणों से ललाट
चमके
जहा घोर दोपहरी में तोता मैना मिले, जहा रात होते ही चांदनी से दर्पण चमके
चलो क्यू ना मिलो दूर चले
जहा तुम हो जहा मैं हूं
चलो क्यू ना मिलो दूर चले

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19 AUG 2021 AT 16:20

ए कम्भक्त इश्क तू क्या क्या करवाता हैं
किसी को हसाता है किसी को रूलाता हैं
तलाश में अपनी ही कितना इंतज़ार तू करवाता है
कभी अपने ही लिए मीलो चलवाता हैं

ए कम्भक्त इश्क तू क्या क्या करवाता हैं
कभी एक को दूसरे से मिलवाता हैं
किसी को किसी से तन्हा तू करवाता हैं
और कभी कोई इश्क करे जैसे करे
दूसरे से कितना झूठ तू बूलवाता हैं

ए कम्भक्त इश्क तू क्या क्या करवाता हैं
बेफिजुल किसी को मरवाता है
किसी को नई जान दिलवाता है

ए कम्भक्त इश्क तू क्या क्या करवाता हैं
किसी को हसाता है किसी को रूलाता हैं

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