इश्क़ की सारी गर्माहट, बारिशें ले कर
चली आई है मेरे घर, सारी राहतें ले कर
मनमर्ज़ियों से भरी मासूम सरारत
ख्वाब आसमानी, सतरंगी ख्वाहिशें ले कर
हवा के साथ बूंदों का कभी चेहरे पे आना
किसी के संग किसी दिन पूरा भीग जाना
धुला सा दिन है, सामे हैं, और रातें धुली हैं
धुले से मन से मोहब्बत का सुरीला गीत गाना
हाँ ये बारिश सिखाये जा रही है जाने क्या क्या
हँसना मुस्कुराना या किसी से रूठ जाना
बहुत गुजरे हुए सालो के ये बाद आई है
छुपा रक्खे थे जो सारे वो सौगात ले कर।
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