23 NOV 2017 AT 14:33

समंदर पार का सफीना,
और वक़्त बदल जाता है
ये तो फिर भी इंसान है,
जो अपना रंग बदल देता है
यही कारीगरी है,
ईमान की यहाँ
अपना फायदा देखा नहीं,
कि ये अपना रास्ता भटक जाता है

©Devika parekh2017

- तरपल