लफ्ज़ कम पड़ गए,आज लिखने को,ये ना पूछना,की कब छोड़ गए वो हमें ज़िन्दा तड़पने को,ना ला पायी अपना दर्द इन लबों पे,सोचा दे दूँ ये बोझ इन अल्फ़ाज़ को...©Devika parekh2018 - तरपल
लफ्ज़ कम पड़ गए,आज लिखने को,ये ना पूछना,की कब छोड़ गए वो हमें ज़िन्दा तड़पने को,ना ला पायी अपना दर्द इन लबों पे,सोचा दे दूँ ये बोझ इन अल्फ़ाज़ को...©Devika parekh2018
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