जिन्होंने माँ के हाथ से निवाला नहीं खाया,
उनसे बचपन की कीमत पूछो,
जिन्होंने आफताब की रोशनी नहीं देखी,
उनसे उजाले की कीमत पूछो
कैसे आदम है हम,
जो फिर भी रोज़ शिकायत करते है
क्या होती है 'ज़िन्दगी' की कीमत,
वो अपनो को दफना ने वाले हाथो से पूछो...
©Devika parekh2017
- तरपल