Devika Gandhi Parekh   (तरपल)
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Joined 11 April 2017


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Joined 11 April 2017
13 APR 2020 AT 11:04

कुछ वक्त अपने लिए निकाल लेती हूं,
साँसों का हक यूँ ही अदा कर देती हूं
कोई पूछे क्या पाया तुमने इस ज़िन्दगी में,
तो मुस्कुराकर,
अपनी नज़्मों से भरी हुई किताबें उन्हें दिखा देती हूं

© - तरपल

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19 JAN 2022 AT 20:13

सुकून से पहचान होने लगी है,
जबसे खुद से मोहब्बत होने लगी है

© - तरपल

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16 JAN 2022 AT 14:54

तुझे याद नहीं किया तो चैन नहीं,
है मुश्किल इन कागज़ों की जिसमे तू नहीं

© - तरपल

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15 JAN 2022 AT 11:25

तो क्या हुआ जो कलम अब तेरा नाम नहीं लेती,
है अभी पता तेरा, मेरी सांसे जो धड़कने से बाज़ नहीं आती

© - तरपल

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13 JAN 2022 AT 16:27

ये ग़ज़ले , ये नग़मे तेरे बिना कुछ भी नहीं,
है कागज़ कलम सियाही तो क्या, बिना जज़बात ये कुछ भी नहीं,
है ये जहान मुकम्मल तो क्या,
है सुकून जिसकी शक्ल, वो बिना रूह के कुछ भी नहीं

©- तरपल

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20 SEP 2021 AT 19:38

पक्के घडे सा हो चला है ये दिल,
मोहब्बत का रंग अब चढ़ता ही नहीं

© - तरपल

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17 SEP 2021 AT 20:42

फुरसत जब रिश्तों से नहीं मिलती,
तब कागज़ों में कोई नज़्म नहीं खिलती,
ये है अजीब दस्तूर ज़िन्दगी का,
यहाँ हर मोड़ पर अपनी मन मर्ज़ी नहीं चलती

© - तरपल

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16 SEP 2021 AT 17:25

अंधरे से वो डरता है मगर चांद वो मुझे केहता है,
इश्क़ से है जिसे परहेज़, वो अपना खुदा मुझे कहता है

© - तरपल

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15 SEP 2021 AT 17:24

આવડત તો પ્રેમ માં પણ હોવી જોઈએ,
આંખો માં જે વસે, શબ્દો માં એની મેહક હોવી જોઈએ

© - તરપલ

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14 SEP 2021 AT 20:14

बड़े प्यार से उसने हमें पराया किया था,
वो जो हमारे लिए खुदा से भी ऊंचा था

© - तरपल

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