एक तस्वीर..... बेपनाह इश्क़......अनगिनत ख़्याल
धड़कन में तुम और तुम्हारे बिन गुजरे कई साल-
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥
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जब भी देखता हूं उसके चेहरे की तरफ
उसकी आँखों में नशीली जाम नज़र आती है
गर चूम लू मैं जाम होंठो से इक दफा
तो वो लड़की मुझे सरेआम नज़र आती है
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अब हँसते हैं मुझे देखकर मुझसे जलने वाले
यही ईनाम मिला है तेरी मोहब्बत में मुझे-
हिमालय सी अडिग थी आज जिद पे मेरी माँ
आँखों से गंगा निकल आयी उदास देख चेहरा मेरा
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लफ़्ज़ उनके दुहाई तो दे मोहब्बत की इक दफा
चाँद की चाँदनी में फ़िर मोहब्बत बेपनाह हो जाए-
ये रश्म-ए-सगाई भी ना यार क्या खूब रंग लाती है
किसी के दिल की मल्लिका किसी की महबूब बन जाती है
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गाँव के नुक्कड़ पे नगमें फ़िर सुहाने आ गए
लगता है कि गाँव में लोग फ़िर पुराने आ गए
ईर्ष्या की तपिश से झुलसी जो कलियां रिश्तों की
मोहब्बत की ठंडी बारिश में फ़िर भिगाने आ गए
जब बिखरी उबलते चाय की खुश्बू नुक्कड़ पे
लगा संदली मिट्टी में फ़िर दोस्त पुराने आ गए
ख़ामोश लवों पे बिखर नहीं पाती थी ये हँसी
वो लोग आए हँसने के फ़िर बहाने आ गए-
ख़ामोश लव है फ़िर भी बयां होती अनकही बातें
बहुत कुछ कह जाती हैं ये शराबी आँखें-
सुनने को बेकरार था दिल उनके पाजेब की खनक
हसीं महफ़िल में भी हमने खामोशियां बिछा रखी थी
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बगावत हो गई यूँ ही बगीचे में yrr
उसने सुर्ख होंठो से जब गुलाब को चूमा
इरादे बदल लिए बहारों ने खूब अपने
जब उसी गुलाब को चूम एक भंवरा खूब झूमा
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