Deepti Pathak   (Ajnabee (दीप्ति))
140 Followers · 83 Following

read more
Joined 11 May 2017


read more
Joined 11 May 2017
19 SEP 2021 AT 15:35

चलो इक और सफ़र खत्म हुआ,
मेरा हर दर्द मुझमें ही दफ़्न हुआ।

-


27 MAR 2021 AT 23:54

उदसियों को उदास रहने दो,

मुस्कुराहटों का बोझ इनपर मत लादो

दिल में खास जगह है उदास चेहरों की 

मुस्कुराहटों को बस लबों की हद तक रहने दो

-


9 JUL 2020 AT 17:59

जिस चाँद को कवि ने बेहद खूबसूरत बतलाया,
खगोलविद ने उसे धूल भरा और बंजर समझाया,
शायद यहीं इक कवि ने अपना जादू है चलाया कि उसने हर बंजर सीने पर फूलों को खिलना सिखलाया,
हर टूटी चीज़ को है अल्फ़ाज़ का मलहम लगाया,
शायद यही है खूबसूरती एक कविता की कि उसने ज़िन्दगी को ज़िन्दगी जीना सिखलाया।।

-


6 JUL 2020 AT 18:19

कितना अजीब है ना !

इक इंसान टूटते हुए तारे से उम्मीद रखता है।
की वो उससे जो भी मांगेगा उसे मिल जाएगा।।

इंसान उम्मीद रखता है कि इक और टूटा हुआ ।
इंसान उसे जोड़ देगा।।

उम्मीद रखता है वो कि उसकी कोई उम्मीद ।
कोई सपना कभी ना टूटेगा।।

और इसी डर से एक दिन वो छोड़ देता है ।
सपने देखना उम्मीदें रखना ।।

और बस उसी दिन वो एक कदम और करीब आ जाता है किसी का टूटता तारा बनने के
और फिर ये कहानी यूँही चलती रहती है।।

-


21 JUN 2020 AT 10:50

माना विचारों का मतभेद रहा पर मन में हमेशा इक सवाल शेष रहा,
कि पापा
आप क्यों ! कभी नाराज़ नहीं होते?
क्यों !आप किसी भी वाक युद्ध के तुरंत बादही सामान्य व्यवहार करने लगते हो?
क्यों !आप हर पल वात्सल्य और स्नेह में इतने सराबोर रहते हो कि आप हमसे इसीलिए लड़ने लगते हो कि हम खुद का ध्यान नहीं रखते ?
क्यों आपको हम पर बेवज़ह ही नाज़ होता है ?
और फिर दूसरे ही पल हम आपकी नाराजगियों के सैलाब में डूबे नज़र आते है
और फिर कुछ नए मतभेद पनपते हैं हमारे बीच, और वहीं कहीं हवा मिलती है उस स्नेह और वात्सल्य को जो हम कभी जता नहीं पाते
हम कभी आपको गले लगा कर ये नहीं बता पाते कि आप पीछे खड़े हो हरदम इसीलिए हमारे चेहरे पर इतनी बेफिक्री खड़ी है,
की आपका होना मात्र ही हमारे आत्मविश्वास की कड़ी है,
हो सकता है की कभी कभी आप हमें समझ नहीं पाते ,
पर उसके बावजूद भी मौन स्वीकृति लिए इक ढाल की तरह हमेशा हमें इस समाजरूपी सर पर लटकती तलवार से बचाने का प्रयत्न करते हो।पापा,पता नही ये सब क्यों है?
पर शायद कुछ सवालों का उत्तर आवश्यक नहीं होता वो सवाल के रूप में जीवन को खूबसूरत बनाये रखते हैं।

-


25 MAY 2020 AT 13:57

गली खुंचे हैं मेरे सुने पड़े
सड़को की मेरी चाल भी थमी सी है,
नुक्कड़ के किस्से अब तकते हैं राह किस्सगो की
गुम सुम सी मेरे चौराहों की रौनक खड़ी है

मैं जागता नहीं सोने की मुझको कैसी ये तलब सी लगी है,
दिख भी जाए जो कोई शख्स तो मानो जैसे मन में उसके व्यथा बड़ी है,

माना प्रकृति की शोभा तो निखरने लगी है
आसमान में गौरैया की टोली भी देखो निकल पड़ी है
पर व्यथित है वो छाइया वृक्ष की की ये इंसा को ना जाने किसकी नज़र लगी है,
कैद हैं चार दिवारी में सब ,विपत्ति मानो या समझो इसे ऐसे की प्रकृति ने कलम तोड़ सज़ा ये गढ़ी है।
सांसें तो हैं चल रही है पर ज़िन्दगी मनों थमी पड़ि है
शहर भी है अब सोचता मेरा ये कैसी घड़ी ये सामने खड़ी है, मोहब्बत को साबित करने के लिए दूरियों की ज़रूरत आन पड़ी है

-


24 OCT 2019 AT 12:31

ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के लिए
हम एक बेहतर इंसान होना
सबसे आखिर में चुनते हैं।

-


24 OCT 2019 AT 2:52

क्या गलत होते हैं,
ये मोहब्बत,इश्क़ और प्यार के एहसास भी,
पर माँ ने तो कहा था
हैं होते गलत बस,
दुश्मनी,नफरत और बैर भाव ही

-


25 SEP 2019 AT 11:49

हौंसलों ने मेरे कहा मुझसे ,
तू रुकना मत,तू झुकना मत,
उजालों की ख्वाइश और तिमिर से गुज़रे
परछाइयों से अपनी तू डरना मत ,
तू रुकना मत ,तू झुकना मत

उजाला भी धोखा जो देने लगे,
कदमों तले ज़मीं खिसकने लगे,
रास्तों का दामन छिटकना मत,
तू रुकना मत ,तू झुकना मत,

कहने को जब कुछ ना बाकी रहे,
सुनने को कोई ना राज़ी रहे,
तू वचनों से अपने मुकरना मत,
तू रुकना मत तू झुकना मत,

उम्मीदें जो तेरी बिखरने लगे,
सांसें हलक में अटकने लगे
कर्मों की डगर से भटकना मत,
तू रुकना मत तू झुकना मत,

ज़िन्दगी है पोरों पर पलों का सफ़र,
कहानी किसी की किसी की कलम
कहानी में अपनी तू रहना सवंर।
तू रुकना मत तू झुकना मत,

हौंसलों ने मेरे कहा मुझसे,
तू चलता चल तू चलता चल


-


22 SEP 2019 AT 23:16

मुझ नादान की नादानियों पर जो मुस्कुरा देती है,
गलतियों को मेरी ज़हन से भुला देती है,
वो माँ ही तो है जो साधारण सी इक लड़की को
बिटिया रानी बना देती है।

-


Fetching Deepti Pathak Quotes