Deepti Pandey   (दीप्ति पाण्डेय 'उजास')
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Joined 13 May 2019


Joined 13 May 2019
31 MAY 2021 AT 11:49

ताश के बावन पत्तों के जोकर
याकि एक महल के नौकर
नेपथ्य में
ख़ुसुर- फुसुर करते हैं -

कुछ भी हो
लेकिन बेगम बादशाह की ही होती है...
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30 MAY 2021 AT 23:36

स्क्रॉल करने से
जिंदगी के कठिन दिन नहीं गुजरते

ना ही पॉज करने से
रुक सकते हैं वो पल
जब रोक सकते थे उसे जाने से
जिसके जाने से फिर कुछ नहीं बचता...

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25 MAR 2021 AT 19:49

एक सवेरा यूँ भी होता

तुम होते और मैं होती

होती छोटी छोटी बातें

सावन की मदमस्त बरसातें

एक बारगी एक सांस में

कर जाते जन्मों की बातें !


एक सवेरा यूँ भी होता

हम दोनों में,

हम दोनों होते

दुनिया का कोई जिक्र ना होता

एक सवेरा ...

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24 MAR 2021 AT 18:31

स्त्री गढ़ी गई

पुरूष कुम्हार का चाक था - केंद्र बना रहा

स्त्री मिट्टी थी -

उसके नियंत्रण में अपना आकार ना था...

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24 MAR 2021 AT 17:08

क्षणिक सुविधाओं की लालसा में

अपनी स्वतंत्रता से समझौता करना

बहुत बड़ा व्यक्तिगत घाटा है ...

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