सहर 🖤   (© सहर)
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सहर
Joined 5 February 2019


सहर
Joined 5 February 2019
2 NOV 2023 AT 12:59

ज़रूरी तो नहीं
जो ना मिला, उसे छोड़ दिया जाए।

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27 AUG 2023 AT 17:59

किसी ओर के साथ उसे निखरते देखा ,
अपने जज्बात को फिर, मैंने मरते देखा ।

हम साथ रहेंगे जो भी हालात हो,
आज उन वादों से उसे मुकरते देखा ।

ये खुशमिजाज़ चेहरा सबको देखता है ,
मैंने हर हार में, ख़ुद को बिखरते देखा ।

ये सच हैं,हर वक्त कोई साथ नहीं रहता,
अकेले ही चांद को चढ़ते देखा,चांद को ढलते देखा ।

सब कुछ तो बदल गया है सहर,
ना जानें क्यूं उसे गली में ठहरते देखा ।

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4 JUL 2023 AT 22:19

हम सिर्फ़ हिस्सेदार है,
हक़दार,कोई ओर हैं ।

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12 MAY 2023 AT 16:32

मुझे देखकर पिघल गया कैसे,
वो बेदर्द यूं, मचल गया कैसे।

जिस राह पर चलना सिखाया
वो इतना आगे निकल गया कैसे ।

उसे तो खुला आसमां पसंद था,
वो खोखला महल गया कैसे।

खुद्दारी किरदार का हिस्सा थी,
वो अपनी अना, निगल गया कैसे।

उसी से सारे राब्ते , रिश्ते थे 'सहर'
आज वो, बदल गया कैसे ।

© सहर



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6 MAY 2023 AT 13:58

मैंने हर दिन तुम्हें याद किया,
और तुम्हें , मेरा जन्मदिन तक याद नहीं ।

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9 APR 2023 AT 22:10

उसकी बाहों के सिवा कहीं आराम नहीं,
वो ना मिले तो, कोई सवेरा कोई शाम नहीं।

मुहब्बत, खुदा का हमें तोहफ़ा है,
इस रिश्ते का जहां में, कोई दाम नहीं।

दोनों साथ ही अच्छे लगते है,
जैसे राधा के बिना,श्याम नहीं ।

वो ज़िक्र, फिक्र हर जगह करता है,
ये रिश्ता, इस जहां में बेनाम नहीं।

पूछते है क्या करती है 'सहर'
उसे निहारने के अलावा, कोई काम नहीं ।

© सहर

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9 MAR 2023 AT 21:49

ना किसी से शिकायत , ना अनबन है,
अब, बस अकेले चलने का मन हैं ।

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12 JAN 2023 AT 10:50

कोई एहसास कभी मरता नहीं है
कोई रिश्ता , कभी ख़त्म नहीं होता,
ज़िंदगी में नए लोग जुड़ते है
कई पुराने क़िस्से धुंधले हो जाते हैं ।
बस शर्त है,
अपने जज़्बात को काबू रखा जाए ,
हर हालत को तसल्ली से संभाला जाए।

कभी मां बाबा के सपनों को देखे
उनके हाल पर ख़ुद को रखकर सोचे ,
दिल ना माने , तो उनकी बात मानकर देखिए
यकीनन ! हर मसला सुलझ जाएगा ।

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16 DEC 2022 AT 11:45

जो था सब निचोड़ दिया,
मैंने ,अब लिखना छोड़ दिया ।

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19 NOV 2022 AT 21:46

जो जा रहा उसे समझाना क्यूं ,
उस बेवफ़ा के लिए मुरझाना क्यूं ।

जब उसे छू ही ना पाऊं तुम,
यूं बेमतलब किसी को रिझाना क्यूं ।

वो मौसम के तरह बदल गया,
अब उन वादों को याद दिलाना क्यूं।

मालुम है इश्क़ दर्द देता हैं,
तो मेरे जान दिल लगाना क्यूं।

सब अपने ही हाल में खुश है 'सहर'
किसी के लिए, खुद को जलाना क्यूं ।

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