Deepika Rishi Jha   (दीपिका ऋषि झा)
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Poet, writer
Joined 30 July 2017


Poet, writer
Joined 30 July 2017
7 AUG 2023 AT 11:53

काम उतना ही करो जितने कामों की तन में गुंजाइश हो,
यह बेफज़ूल का प्रमाण पत्र देने वाले लोग कभी तुम्हारे तन की पीर समझ न पाएंगे।

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7 AUG 2023 AT 11:23

हम सबकी यारी की गाथा,युगों सुनाई जाएगी।
अब ना‌ ऐसी यारी,ये बैरी दुनिया दुहराएगी।
जब-जब खंजर पीठ घूपेंगे,तब -तब ऐ दुनिया वालों-
मोहन और सुदामा सी बस याद हमारी आएगी।


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3 JUN 2023 AT 18:43

किसी दल में,कभी बल में ,कोई भी काम ना ढूंढो।
कर्म के पथ चलो बढ़कर फ़कत आराम न ढूंढों।
हर इक कण में,हर इक मन में,बसेरा है रघुवर का-
इत्र मन से निकलकर के गली में राम न ढूंढो।

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31 MAY 2023 AT 20:48

दफ़्न कहानी अंतर्मन की रोज़ सुनामी लाती है।

अश्कों की राहों से आकर अधरों पर थम जाती है।

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28 MAY 2023 AT 6:15

झंझावत भीतर है बाहर लो कैसे मुस्काएँ हम,
तन्हा हैं महफ़िल में जाकर किसको पीर सुनाएँ हम।

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26 MAY 2023 AT 11:15

जवाब दें किसे भला,किसे-किसे हिसाब दें,
हँसी के जो भी पल मिले,उसी में पल गुज़ार दें।
हुई है सांस गैर अब न जाने छोड़ कब चले,
तो क्यूं न प्यार मांग लें,सभी को खुद भी प्यार दें।

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13 APR 2023 AT 15:35

आज तक घर सिर्फ वही टूटे हैं
जिन औरतों को ससुराल किराये का मकान
और रिश्तेदार पड़ोसी से लगते हों।

कड़वा है र सच है

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17 MAR 2023 AT 7:27

न हो पाए हैं हम तो घर के यारों।
न कहला पाए हैं दफ्तर के यारों।
पलक पर ढेर नींदों की लगी है-
कहाँ हो पाए हम बिस्तर के यारों।

कामकाजी महिला

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6 MAR 2023 AT 11:15

हुस्न- ए -इंतख़ाब तो बस तुम्हारा दिल ही था,

वर्ना तुम जैसी शक्लों सूरत के कई और शामिल थे कतार में।

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26 FEB 2023 AT 13:00


पौधों पर न दोष मढ़ो,बीजों की भी तो बात करो,
दर्पण सबको दिखलाओ,पहले खुद से शुरुआत करो।


माना पीढ़ी बदल रही पर,सोचो कितने हम बदले,
खुशियों की परिभाषा बदली,तरह-तरह के ग़म बदले,
पढ़ो,पढ़ो हमने सिखलाया,मोह-माया से दूर किया,
सामाजिक न बनने को हमने उनको मजबूर किया।
ताने कस -कसकर अब उनके बदतर न हालात करो।
दर्पण सबको दिखलाओ,पहले खुद से शुरुआत करो।

अपनी इच्छा उन पर लादी,उनका बचपन छीन‌ लिया,
बिल उनके लालन का देकर वापस यौवन छीन लिया।
ट्यूशन,विद्यालय है जीवन,हफ्तों होती बात नहीं,
चीख -चीखकर हम कहते नव पीढ़ी में जज़्बात नहीं।
वज़्न तिजारत का देकर के दिल पर न आघात करो।
दर्पण सबको दिखलाओ,पहले खुद से शुरुआत करो।





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