Deepanshu Parte   (Deep)
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एक टुकड़ा मिसरा हो जाऊं,
की मैं बिखरुं किसी इत्र की तरह।।
Joined 3 January 2018


एक टुकड़ा मिसरा हो जाऊं,
की मैं बिखरुं किसी इत्र की तरह।।
Joined 3 January 2018
29 JAN 2022 AT 11:31

सुकून की जगह तलाशने में
दूर तलक बह गया मैं

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19 JAN 2022 AT 10:11

एक फूल
एक प्रेम-पत्र
और एक नज़्म मीठी सी
जैसे शस्त्र कोई सम्मोहन के।।

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21 JUL 2021 AT 9:49

जैसे कोई बच्चा
अपनी आड़ी - तिरछी आकृति को
एक खूबसूरत कलाकृति में देखता है

बस उसी तरह
मैं अपने लिखे उल्टे -सीधे शब्दों को
कविता समझता हूँ

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9 JUL 2021 AT 8:59

एक नया दिन

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8 JUL 2021 AT 19:46

मंज़िल की परवाह कौन करे
जब सफर मोहब्बत हो जाये

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6 JUL 2021 AT 8:27

मशहूर होना है
इतना मशहूर की
किसी को मेरी खबर तक ना हो

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5 JUL 2021 AT 11:16

एक ही ज़िन्दगी
और इतने उसूलों की ज़िंदगी

ये ज़िन्दगी ही है
या कोई जेलखाना ??

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3 JUL 2021 AT 23:26

सारा आसमां तुम्हारा है
जब तक जमीं ना मिले तुम्हे।।

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3 JUL 2021 AT 13:44

Read caption!!

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2 JUL 2021 AT 10:57

वो खत जो तुम्हे भेजे नही गए
मेरे जाने के बाद
उन पर हक़ किसका होगा।।

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