Deepak Singh Chauhan   ('उन्मुक्त' 🕊️)
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Joined 8 August 2017


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1 JAN 2022 AT 8:17

सूरज की नव रश्मियाँ लाएं नया विहान
रचें सफलता के नए सभी उच्च प्रतिमान
जग की व्याधि दूर हो बचा रहे बस हर्ष
हृदय की है यह कामना मंगल हो नववर्ष.

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7 FEB 2021 AT 18:57

वायदा करके उम्र भर तक का
बीच में साथ छोड़ने वाले

इश्क़ कब तक भला निभाएंगे
शाख से फूल तोड़ने वाले

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27 SEP 2020 AT 17:39

नदियां और बेटियां
मुझे एक दूसरे की पर्यायवाची
लगती हैं।

(पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें)

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11 AUG 2020 AT 19:48

वो मुझे शायर कलमकार या फनकार बोलेंगे
मैं अगर मर भी जाऊं तो मेरे अशआर बोलेंगे

मेरे सच बोलने की आदतों से बन गए दुश्मन
दबी बोली में वे सब लोग मुझको यार बोलेंगे

(राहत इंदौरी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि)

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25 JUL 2020 AT 16:35

फ़रेबों से भरी दुनिया में ये शफ़्फ़ाफ़ सी आंखें
सदाक़त के बचे रह जाने की तस्दीक़ करती हैं

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13 JUL 2020 AT 9:29

जब मैंने प्रेम करना सीखा
मैंने कविताओं का हाथ थामा

अब कविताओं को हाथ में
थामे हुए लगता है मैंने
थाम रखा है
तुम्हारा हाथ
अपनी हथेलियों के बीच

अब मैं तुम्हारे साथ-साथ
कविताओं के प्रेम में हूं।

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29 JUN 2020 AT 23:51

Indians to all 59 banned Chinese apps :-





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25 JUN 2020 AT 11:51

जमीन पर गिर पड़ने
और गायब हो जाने से पहले
जिस थोड़ी सी उम्मीद से
पत्तों पर ठहरती है
ओस की बूंद
ठीक उतनी ही
उम्मीद काफी है
जीवित रखने के लिए
हमारे तुम्हारे बीच के
इस प्रेम को ।

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5 JUN 2020 AT 13:28

उस पौधे का वृक्ष बन जाना
बढ़ा देगी संभावना
इस पृथ्वी के कुछ और अधिक
दिन बचे रह जाने की
जिसके साथ ही बढ़ जाएगी उम्र
उस प्रेम की भी

बहुत जरूरी है
बचाकर रखा जाए प्रेम
और लगाए जाएं पौधे
इस दुनिया को बचाए रखने के लिए।

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2 JUN 2020 AT 12:36

कविताएं
किसी की पीड़ा नहीं हरती
दुःख का अंत भी नहीं करती
ना ही करती हैं समाधान
मनुष्य की समस्याओं का

परन्तु यही कविताएं
प्रदान करतीं हैं मनुष्य को
एक सुरक्षित और शांत स्थान

जहां कुछ समय के लिए
मनुष्य भूल सके
अपनी समस्याओं से उपजे दुःख
और उसकी पीड़ा, कर सके
पश्चाताप अपनी गलतियों पर
मजबूत कर सके अपनी इच्छाशक्ति

तकि एक बार फिर से खड़ा हो
भिड़ सके अपनी समस्याओं से
कर सके अपने दुखों का अंत और
स्वयं ही हर सके
अपनी पीड़ा।

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