19 APR 2018 AT 23:12

थके हुए सफर के , हम फिर भी चल रहे हैं ,
अपनी अंधेरी राहों को रोशन करने , खुद ही जल रहे हैं ,
सीधी होगी राह-ए-मंजिल , ऐसे ही पहुँच जायेंगे ,
पर हर मोड पे अब हम खुद को बदल रहे हैं ....

- Diwraa