थके हुए सफर के , हम फिर भी चल रहे हैं ,अपनी अंधेरी राहों को रोशन करने , खुद ही जल रहे हैं ,सीधी होगी राह-ए-मंजिल , ऐसे ही पहुँच जायेंगे ,पर हर मोड पे अब हम खुद को बदल रहे हैं .... - Diwraa
थके हुए सफर के , हम फिर भी चल रहे हैं ,अपनी अंधेरी राहों को रोशन करने , खुद ही जल रहे हैं ,सीधी होगी राह-ए-मंजिल , ऐसे ही पहुँच जायेंगे ,पर हर मोड पे अब हम खुद को बदल रहे हैं ....
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