Deepak Sharma   (दीपक शर्मा✍)
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Joined 22 May 2017


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Joined 22 May 2017
7 FEB AT 20:27

गुलबदन, गुलरेज़, गुलबहार...और क्या क्या कहता,
जो खुद एक गुलाब था, मैं उसे गुलाब क्या देता ।।

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23 OCT 2022 AT 22:09

मुझे मालूम है मेरा तुझसे नाता नहीं है कोई
फिर क्यूं इस जहां में मुझे भाता नहीं है कोई,

तू था तो इस दिल में एक शहर सा बसता था,
तेरे बाद अब इस वीराने में रहता नहीं है कोई ।

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10 JUL 2022 AT 22:21

तिरे बाद रहता हूं मैं तन्हा सा अक्सर,
मिरा दिल अकेले में रोता है अक्सर,

बस यही सोच के सब्र मैं कर लेता हूं,
यही तो मोहब्बत में होता है अक्सर ।।

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30 MAR 2022 AT 21:20

तेरे बाद भी अब खुद को संभाल ही लूंगा मैं,

मुझे छोड़ के जाने वाला तू पहला तो नहीं है ।

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17 MAR 2022 AT 21:23

इक बस तेरे इश्क़ का रंग ही पक्का है,

बाकी शहर के सारे रंग कच्चे लगे मुझे ।

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17 FEB 2022 AT 23:19

अब ये दीवारें ही समझती हैं हाल-ए-दिल मेरा,

मैं जो कुछ भी कहूं ये इत्मीनान से सुनती हैं ।

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13 FEB 2022 AT 22:20

चुपके से जब बाहों में लेता था उसको,
गुस्से में मुझको टोका करती थी ।

मैं इतने से ही खुश हो जाया करता था,
मेरे माथे पर जब बोसा करती थी ।।

बोसा - kiss

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9 FEB 2022 AT 23:24

उसका प्यार भी चॉकलेट🍫 की तरह है,

कभी थोड़ा मीठा तो कभी थोड़ा कड़वा ।

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8 FEB 2022 AT 22:36

इक बार गले आ लगी थी वो कुछ ऐसे मुझसे,

फिर मेरी उस कमीज़ से उसकी खुशबू नहीं गई ।

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7 FEB 2022 AT 22:51

गुलबदन, गुलरेज़, गुलबहार...और उसे क्या कहता,

जो खुद ही एक गुलाब था मैं उसे गुलाब क्या देता ।

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