न तेरे जाने का ग़म है
न तेरे लौट के न आने का
तु भी शामिल है
इस नफ़रती आग में
नये साल को लाने का।
अलविदा 2024, स्वागतम 2025-
बचा कर रखा हूं
थोड़ा सा बचपन
थोड़ी सी गरीबी
थोड़ा सा अल्हड़पन
थोड़ी सी फ़ुरसत
बचा कर रखा हूं।
खर्च करता हूं
बहुत संभलकर
मसालों की तरह
नीरस ज़िन्दगी को
चटपटा बनाने के लिए।-
साथ हीं तो बढ़ाये थे
कदम हमने
पहला कदम रखा किसने
खुदा जाने
झटक कर हाथ मेरा
छोड़ा साथ तुमने
तुम्हें पहचानने में
थोड़ी देर हो गयी मुझे
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ख़ामोशी के पीछे
राज़ क्या है
नहीं जनता मैं
पर इतना जनता हूँ
कि यूं खामोश
तुम अच्छी नहीं लगती।-
नाराजगी है मुझसे तो खुल कर जाहिर कर
खामोश ख्वाइशों को खामखाँ बदनाम न कर-
तुम्हें ग़ुमाँ होगा कि
तुम जियोगे क़यामत तक
ले सकोगे हिसाब तुम
अपनी रुसवाइयों का
तुम्हें ये भी ग़ुमाँ होगा
अपने बहादुरी पर कि
तुम जी सकोगे
ले कर बोझ
अपने नफ़रतों का।
मैं मुवाफ़ कर देता हूँ
लगा लेता हूँ गले
मुझे मालूम है कि
क़यामत मुझे नसीब नहीं
और कम दिन हीं सही
अपने नफरतों के संग
रहना मुमकिन नहीं-
My hopes are
My real friends
They don't
leave me alone
And I do Everything
To keep them Alive.
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