22 MAR 2018 AT 13:26

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कुछ भौंरे सी फितरत है तुम्हारी
हर हसीं गुल पर तुम मंडराते हो

मै वफ़ा की आस सजा के रखती हूँ
तुम मुझ गुलाब से गेंदे के हो जाते हो
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