-----------------------------------------कुछ भौंरे सी फितरत है तुम्हारीहर हसीं गुल पर तुम मंडराते होमै वफ़ा की आस सजा के रखती हूँतुम मुझ गुलाब से गेंदे के हो जाते हो----------------------------------------- -
-----------------------------------------कुछ भौंरे सी फितरत है तुम्हारीहर हसीं गुल पर तुम मंडराते होमै वफ़ा की आस सजा के रखती हूँतुम मुझ गुलाब से गेंदे के हो जाते हो-----------------------------------------
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