आजकल आस्तीनों से सांप अक्सर निकलते है इसलिये हम अपनी परछाई से हाथ मिलाकर चलते हैँ -
आजकल आस्तीनों से सांप अक्सर निकलते है इसलिये हम अपनी परछाई से हाथ मिलाकर चलते हैँ
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दिन भर समाचार में देखो प्रजातंत्र को नीलाम होते हुए विपक्ष के हाथ में हथकड़ी अब दिखती है आम होते हुए -
दिन भर समाचार में देखो प्रजातंत्र को नीलाम होते हुए विपक्ष के हाथ में हथकड़ी अब दिखती है आम होते हुए
जिस जहान को छोड़कर हमने नयी शुरुआत की मंजिल पर दोबारा हमने फिर उसी से मुलाकात की -
जिस जहान को छोड़कर हमने नयी शुरुआत की मंजिल पर दोबारा हमने फिर उसी से मुलाकात की
सब रिश्ते जला कर तुम अंगारों पे चलकर आ गये पांव पे छाले थे तुम होंठों पे जाम लगाकर आ गये -
सब रिश्ते जला कर तुम अंगारों पे चलकर आ गये पांव पे छाले थे तुम होंठों पे जाम लगाकर आ गये
लोगों से भरी है ये तंग गली ख्वाबों की यहाँ कौन दे पाया है कीमत अपनी मुरादों की -
लोगों से भरी है ये तंग गली ख्वाबों की यहाँ कौन दे पाया है कीमत अपनी मुरादों की
इश्क़ की गलियों में खरीदा ऐतबार नहीं जाता साहिल पे बैठने वाला कभी उस पार नहीं जाता -
इश्क़ की गलियों में खरीदा ऐतबार नहीं जाता साहिल पे बैठने वाला कभी उस पार नहीं जाता
सच सुनकर नाराज़ होना ज़माने का दस्तूर हैँ हम भी क्या करें हम अपनी आदत से मजबूर हैँ -
सच सुनकर नाराज़ होना ज़माने का दस्तूर हैँ हम भी क्या करें हम अपनी आदत से मजबूर हैँ
हम रेगिस्तान की धूप में नंगे पैर चल कर आयें हैँ फूलों की सेज वाले क्या जाने हम क्या सहकर आयें हैँ -
हम रेगिस्तान की धूप में नंगे पैर चल कर आयें हैँ फूलों की सेज वाले क्या जाने हम क्या सहकर आयें हैँ
सब्र का फल कितना मीठा था ये पता करने में निकल गयी उम्र हम वक़्त की रेत को पकड़ते रहें और हाथों से फिसल गयी उम्र -
सब्र का फल कितना मीठा था ये पता करने में निकल गयी उम्र हम वक़्त की रेत को पकड़ते रहें और हाथों से फिसल गयी उम्र