दीपक सनवाल   (पहाड़ी 'दीप'...✒)
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Joined 8 April 2018


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30 OCT 2022 AT 10:11

बात वो नहीं जिसके चर्चे उङ रहे हैं
महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं...


(पूरी रचना अनुशीर्षक में पढें)

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9 AUG 2022 AT 20:30

हमेशा
खुली रहनी चाहिए
एक घर को
जिंदा रखने के लिए

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17 JUL 2022 AT 10:30

Tum to Dil me samaye hue ho,
padhne ki jarurat nahi hai..
😊❤️

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26 JUN 2022 AT 11:31

गली के कुत्ते को
बगीचे के सुंदर फूलो से प्रेम नहीं
सुहाने मौसम से उसका कुछ लेन-देन नहीं
हरे भरे पेङो की तरफ वो देखता भी नहीं
कोयल की कूक तो कभी वो सुनता ही नहीं
उसे तो प्रेम है उस बुजुर्ग से
जो रोज सुबह उसे बिस्किट देता है
क्योकि प्रेम तो उसी के लिए पनपता है
जो बिन कहे आपकी हर जरूरत समझता है

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5 MAY 2022 AT 7:23

के देखा है कहीं
मेरे यार सा हसीं



चाँदनी की कसम
नहीं, नहीं, नहीं

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12 MAR 2022 AT 6:29

मय से मीना से ना साकी से ना पैमाने से
दिल बहलता है मेरा चाय को सुड़काने से










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6 MAR 2022 AT 11:08

जब हम पैदा हुए
तब बहुत छोटे थे
फिर थोङे बङे हुए
मगर छोटे ही थे
फिर थोङा और बङे हुए
मगर छोटे ही थे
धीरे-धीरे बङे तो हो रहे थे
पर कहने को छोटे ही थे
हाफ पैंट से
फुल पैंट में आ गए
पर फिर भी छोटे ही रहे
और फिर एक दिन
पहली बार
हमें चाय पीने को दी गई
बस उस दिन
हम बङे हो गए
अपने पैरो पर खङे हो गए

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5 MAR 2022 AT 9:05

लिखे तुमको हुआ जमाना
करो पेश कोई तो नजराना
नया quote कब लिखोगी
राह तके मेरे व्याकुल नयना

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24 FEB 2022 AT 21:23

सुबह उठकर एक चाय मिली थी
आफिस में भी चाय पी ली थी
शाम को घर आ के फिर चाय पी थी


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23 FEB 2022 AT 22:25

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