दिल लगा के दिल तोड़ने की रिवायत है जहाँ ।टुकडों में लेकर दिल अपना मैं रहता हूँ वहां ।तेरी मोहोब्बत के दोजख़ में फ़ना हुआ ,नहीं तो एक आंसू भी आँखों से बहता था कहाँ ।दिल लगा के दिल तोड़ने की रिवायत है जहाँ । -
दिल लगा के दिल तोड़ने की रिवायत है जहाँ ।टुकडों में लेकर दिल अपना मैं रहता हूँ वहां ।तेरी मोहोब्बत के दोजख़ में फ़ना हुआ ,नहीं तो एक आंसू भी आँखों से बहता था कहाँ ।दिल लगा के दिल तोड़ने की रिवायत है जहाँ ।
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