अंधेरी रात थी,
अंगीठी में आग जल रही थी
दादी कहानी सुना रही थी
और दादाजी मेरे ठंडे हाथ मल रहे थे।
दिल में सुकून था
और मन में सम्पूर्ण शान्ति
वो कहानी पूरी भी नहीं हुई थी
और एक तेज़ आवाज़ हुई
और मेरी नींद खुल गई।
और असलियत इतनी भयानक है कि
ऐसा लग रहा है कि
काश इस सपने के बाद आंखे खुलती ही नहीं कभी।
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