अब मज़हब का खेल कहो या दिल में कोई चोर ,सियासत तो यूँही बदनाम है जनाब । अगर दिल तुम्हारा उतना ही साफ़ होता,तो ये बात-बात पे फ़तवे न जारी होते । - © Deeksha Mishra
अब मज़हब का खेल कहो या दिल में कोई चोर ,सियासत तो यूँही बदनाम है जनाब । अगर दिल तुम्हारा उतना ही साफ़ होता,तो ये बात-बात पे फ़तवे न जारी होते ।
- © Deeksha Mishra