D A   (दिआ)
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शब्दों करते निःशब्द
Joined 1 November 2018


शब्दों करते निःशब्द
Joined 1 November 2018
6 DEC 2022 AT 21:24

आप जब याद ही आने लगे सुबह से शाम।
लबों की खामोशी जुबां पर आपका नाम।
ना निगाहों को चैन ना अब दिल को आराम।
इतनी इबादत नज़रें इनायत तो मिले ईनाम।

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25 JUN 2022 AT 1:01

मुझे इस बात का गुरूर है
तू मेरी खुशियों का नूर है
तूने छुआ है मेरी रूह को
क्या फर्क पड़ता तू दूर है

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7 APR 2022 AT 19:43

बहुत मुश्किल से ही हिम्मत जुटाई थी।
साँसे भी मेरी दिल तक उतर आई थी।।
जब किया इज़हारे बयां जज्बातों को।
कायनात तेरे कदमो में उतर आई थी।।

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7 APR 2022 AT 19:40

सफर छोटा ही सही था मगर यादगार रहेगा।
जिंदगी भर दिल आपका ही तलबगार रहेगा।
आपने निभाई बहुत शिद्दत से दोस्ती अपनी।
खुद से ज़्यादा आपका,दिल शुक्रगुजार रहेगा।

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12 FEB 2022 AT 23:22

हमाम में सब नंगे हैं जी
ये नेता बड़े बेढंगे हैं जी
विकास की बात पर जी
कहते जी सब चंगे हैं जी
सत्ता इनको प्यारी है जी
टिकट की मारामारी है जी
ना मिले टिकट इन्हें तो जी
पार्टी बदलना लाचारी है जी

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2 FEB 2022 AT 22:39

एक जज्बात और एक कशिश
जिसे हम कभी कह नही पाए
तेरी ही लत तेरा ही नशा हमको
जिससे दूर कभी रह नही पाए
तेरी चाहत तेरी ही इबादत सिर्फ
बिछड़ना तेरा सह नही पाए

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28 JAN 2022 AT 23:49

एक मुद्दत के बाद फिर से मुस्कुराया है
लगता उसकी जिंदगी में कोई आया है

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28 JAN 2022 AT 23:48

जो लोग शीघ्र ही आकर्षित हों
भाव हृदय शीघ्र ही प्रदर्शित हों
उनके मन शीघ्र बहुत हर्षित हों
शीघ्र संबंध विछेदन दर्शित हों

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28 JAN 2022 AT 23:43

यूँ जिंदगी में बहुत मक़सद थे
फिर भी हम अपनी हद में थे
उस पार मंज़िल थी हमारी भी
कश्ती और लहरों की जद में थे

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19 JAN 2022 AT 10:38

जज़्बात भी सिमट गये दिलों की सरहद में ।
वो भी और हम भी हैं अपनी अपनी हद में ।

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