आपके बिन खुश रहूं मैं ये दुआ मत माँगिये
क्या कहा, सबकुछ? जी बेहतर! लो दिया, मत माँगिये
शाम होते याद आईं, सारी बातें शाम की
मुझसे मेरी दिन और रातों का पता मत माँगिये
मैं किसी भी जुर्म को अब माफ़ कर सकता नहीं
मुझसे मेरी ही सज़ा का मशविरा मत माँगिये
टोक देंगे खामख़्वाह तो, मुड़ के देखेगा सही
वक्त को चलने दें आगे, रास्ता मत माँगिये
शुक्र है ये कुफ्र ठहरा, आप लोगों के लिए
साजिशों को आप हमसे, मयकदा मत माँगिये
जाइए, कुछ कीजिये, दुनियाँ बदलनी हो अगर
आप यूँ मेरी तरह जी, बस दुआ मत माँगिये
पूछ लें गूगल से बेशक, हर गली हर रास्ता
कम-अज़-कम इतना करें, अपना पता मत माँगिये
-