25 MAY 2018 AT 17:33

दिवारों से लग कर रोना अच्छा लगता है हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है दुनियाभर की यादें हम से मिलने आयेंगी रोक सके न ये दीवारें पगला जाएँगी साँझ ढले फिर जमघट होगा सब कोई झांकेगा लेकिन दीवारों के चलते आ न पायेगा ऐसा मन्ज़र फिर से हमको तनहा कर जायेगा, बोल सजन तू फिर कितना हमको याद आएगा 😢😢

- एक अबोध बालक 👌 अरूण अतृप्त