क़त्ल करके किसी के अरमानों का कोई सकून ढूंढने निकला ।। सने पैर कीचड़ में लेकर जैसे कोई ख़ुदाया वज़ु को निकला ।। खूबसूरत थी रात चॉन्दनी और तारों भरी नरगिसी महकती सी ।। मैं अपनी बदनसीबी के संग अकेला फटेहाल घूमने निकला ।। मुकाबला था आँसू भरी आँखों का खुशनुमा सजे सजाये चेहरों से ।। के जैसे कोई फ़क़ीर पहने फटी कमीज़ अमीरों से मुलाक़ात को निकला ।। शहर भर में चर्चा था उस काले तिल वाली अदाकारा की ग़ज़ल गायिकी का ।। और मैं चला लेकर नज़्म अपनी पुरानी फ़क़त उसके मुकाबला को ।। तैश में था जोश में था और बेहोश भी था है किस से मुकाबला नही ये होश ही था ।। पड़ी मुँह की खानी याद आ गई नानी के चारों खाने चित था ।। क़त्ल करके किसी के अरमानों का कोई सकून ढूंढने निकला ।। सने पैर कीचड़ में लेकर जैसे कोई ख़ुदाया वज़ु को निकला ।। खूबसूरत थी रात चॉन्दनी और तारों भरी नरगिसी महकती सी ।। मैं अपनी बदनसीबी के संग अकेला फटेहाल घूमने निकला ।।
निगाहों के पैमाने बदन परिजमालों के रिंद खयालों के मय शरबती नयनों की और एहसास हम ख़यालों के ऊर्ज से उचकते साँसों से हैं महकते उसके बदन के गोले अँगारे से हैं दहकते रह रह के हेंगे देखो कदम नाज नीना के नृत्य को थिरकते संगीत बज रहा है सुर ताल सुरमई है तेरी आशिक़ी के चलते अरमान मेरे जलते निगाहों के पैमाने बदन परिजमालों के रिंद खयालों के मय शरबती नयनों की और एहसास हम ख़यालों के
भोर का नमन दोस्त 💐💐 पुष्प गुच्छ के साथ मानव के उत्कर्ष ही देते पल पल साथ देते पल पल साथ करें जो श्रम जीवन में उनको मिलती प्रसन्नता रहे वे सुख से जीवन में कह कर बालक चल दिया राह एक अनजानी अपनी करनी साथ है तेरी तूने जानी ।। तेरी तूने जानी ।।