Dabboo Dabboo   (एक अबोध बालक 👌 अरूण अतृप्त)
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Joined 20 January 2018


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Joined 20 January 2018
18 JAN 2022 AT 20:10

क़त्ल करके किसी के अरमानों का
कोई सकून ढूंढने निकला ।।
सने पैर कीचड़ में लेकर जैसे कोई
ख़ुदाया वज़ु को निकला ।।
खूबसूरत थी रात चॉन्दनी और तारों
भरी नरगिसी महकती सी ।।
मैं अपनी बदनसीबी के संग अकेला
फटेहाल घूमने निकला ।।
मुकाबला था आँसू भरी आँखों का
खुशनुमा सजे सजाये चेहरों से ।।
के जैसे कोई फ़क़ीर पहने फटी कमीज़
अमीरों से मुलाक़ात को निकला ।।
शहर भर में चर्चा था उस काले तिल वाली
अदाकारा की ग़ज़ल गायिकी का ।।
और मैं चला लेकर नज़्म अपनी पुरानी
फ़क़त उसके मुकाबला को ।।
तैश में था जोश में था और बेहोश भी था
है किस से मुकाबला नही ये होश ही था ।।
पड़ी मुँह की खानी याद आ गई नानी
के चारों खाने चित था ।।
क़त्ल करके किसी के अरमानों का
कोई सकून ढूंढने निकला ।।
सने पैर कीचड़ में लेकर जैसे कोई
ख़ुदाया वज़ु को निकला ।।
खूबसूरत थी रात चॉन्दनी और तारों
भरी नरगिसी महकती सी ।।
मैं अपनी बदनसीबी के संग अकेला
फटेहाल घूमने निकला ।।

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18 JAN 2022 AT 19:41

I NEED NOTHING BUT ONLY TRANSPARENSY 💐💐

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13 JAN 2022 AT 13:29

जीवन जीवन सब करें
जीवन जिये न कोय ।।
जो जग मा स्व स्वार्थ को
हर पल साधे होय ।।

परित्याग को अपनाये जो
उनके संवरे काज ।।
प्रभु से सीधा वास्ता
करत करत अभ्यास ।।

मेरी तेरी ना करो
करो समाज सुहाय जो ।।
अबोधिता के रूप मा जियो
प्रति द्वन्दी घट जाये सो ।।


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13 JAN 2022 AT 13:19

Wordly Love comes and go, now and then, the forms and shape keep changing, love to God is one remains here & there, does not changes

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13 JAN 2022 AT 13:11

Make your heart collab with HIM
With all conscious & concentration
Confusion will be confused for sure

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13 JAN 2022 AT 13:03

Replied 353 diary
The kid cried
Mom tried hard to solace
Bed is wet

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11 JAN 2022 AT 9:30

निगाहों के पैमाने
बदन परिजमालों के
रिंद खयालों के
मय शरबती नयनों की
और एहसास हम ख़यालों के
ऊर्ज से उचकते
साँसों से हैं महकते
उसके बदन के गोले
अँगारे से हैं दहकते
रह रह के हेंगे देखो
कदम नाज नीना के
नृत्य को थिरकते
संगीत बज रहा है
सुर ताल सुरमई है
तेरी आशिक़ी के चलते
अरमान मेरे जलते
निगाहों के पैमाने
बदन परिजमालों के
रिंद खयालों के
मय शरबती नयनों की
और एहसास हम ख़यालों के

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11 JAN 2022 AT 8:04

भोर का नमन दोस्त 💐💐
पुष्प गुच्छ के साथ
मानव के उत्कर्ष ही
देते पल पल साथ
देते पल पल साथ
करें जो श्रम जीवन में
उनको मिलती प्रसन्नता
रहे वे सुख से जीवन में
कह कर बालक चल दिया
राह एक अनजानी
अपनी करनी साथ है
तेरी तूने जानी ।।
तेरी तूने जानी ।।

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25 JUL 2021 AT 0:59

फटे थे जूते
फकीरी व्यक्तित्व
अनूठी शान

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14 JUL 2021 AT 20:47

एक अबोध बालक 💐अरुण अतृप्त
नाकाम इश्क़

टूट ही जाना था और तो उसके पास कोई चारा न था
छोड़ कर जबसे वो गई बीच भवँर में किनारा न था ।।

दर्द का समंदर उफ़नते जज्बात पीड़ा बिछोह की
इन सबके चलते भावनाओं ने उसको मारा न था ।।

डगमगाया तो था गहरे अंदर तक हिल भी गया था
लेकिन कमजोर नही पड़ा था न ही अभी हारा था ।।

सिसकियाँ उठी तो थी लेकिन उसने उन्हें दबा दिया
सामाजिक लोकाचार का आख़िर ये इशारा भी था ।।

मासूमियत को उसकी ये प्यार का पहला इनाम था
कहने को तो ये दर्द का अजीबोगरीब इन्तेख़ाब था ।।

सब कुछ सह गया अश्क़ पी गया अबोधिता के नाम
भूल पाना इस मन्ज़र को, उसके लिए जो बेमानी था ।।

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