तेरी यादों पर धूल जमी नही है आज भी मेरी हाथो में मेंहदी बन कर सजा है तू आज भी हम पास थे पर अब वक्त आ गया दरमियान मेरे किस्सों में हसीं बन कर खिल रहा तू आज भी
मिलते हैं वहां जहां आसमां पर शाम हो छाई मिलते हैं वहां जहां मेरी यादें मिलने हो तुझे आई तेरे साथ दिन रात का भी हिसाब नही रखना मिलते हैं वहां जहां पलों में सदियां हो सिमट आई
तेरी बातों ने मुझे दर्द बहुत दिया ये दर्द मुझे प्यारा क्यूं है? तेरी चाहत ने मुझे तन्हा ही किया ये तन्हाई मेरे जीने का सहारा क्यूं है? चाहा मैंने तुझे तूने मेरे सिवा सभी को देख ही नहीं मुझे, तोड़ दिया मुझे तेरी तारीफों ने मुझे बिगाड़ ही दिया ये बिगड़ना मुझे गवारा क्यूं है?