Chayan NishAmbuj   (Chayan Jain)
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Joined 10 January 2017


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1 OCT 2023 AT 7:06

नम नमकीन सी ये तेरी आंखें
कुछ गुपचुप सा बता जाती हैं
मासूमियत भरी तेरी ये मुस्काने
पागलपन सा जगा जाती हैं

तितली के चूमे हुए तिल ये तेरे
तिल तिलकर हमें तड़पाते है
उलझे सुलझे से कुछ बाल तेरे
घूमेरों में मुझको लिए जाते हैं

तेरे पिनाक से ये तीर तेरे
दिल को हरा रंग दिखलाते हैं
कुछ खोए हो खुद ही खुद में
पल पल ये मुझको बतलाते हैं

है ये ही माया मेरे मन की
कि तुम पे ही पागल हुए जा रहे हैं
तारा हो तुम, मैं धूल धारा की
कि ख्वाब उड़ाने लिए जा रहे हैं...

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20 DEC 2021 AT 8:51

तेरी उन मुस्कुराहटों
पर मर मिटता हूं
जिसकी वजह मैं नहीं

तेरी उन अदाओं
पर मर मिटता हूं
जिनका मकसद मैं नहीं

तेरी नम आंखों
पर मर मिटता हूं
जिनमें मैं हूं नहीं

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3 JUN 2021 AT 16:49

जब आऊं तेरे दर पर
सब छोड़ छाड़ के आऊं
तेरा पावन दर्शन कर
तुझ में ही मिल जाऊं

सिर्फ सच्चे दिल से आस तेरी
तुम्हे चाहूं, तुम्हे पाऊं
एक तुम ही बस हो प्यास मेरी
तुम्हारे गुण उपजाऊं

न पाप कर्म, न मोह माया
रोक कोई न पाए
मेरे सिर पे रहे तेरा साया
हर कण तुममें मिल जाए

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30 MAY 2021 AT 15:15

मेरे मोबाइल और तुम में एक बात मिलती है!

भला क्या?

उसे चार्ज करो तो वो गरम होता है और तुमसे बात करो तो तुम्हारा भेजा गरम होता है।

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30 MAY 2021 AT 13:50

इन आंखों को, तेरे सपने देखने का, हक़ नहीं

तेरी मुस्कानों पे निसार, लबों से मुस्कान बही
इन आंखों को, तेरे सपने देखने का, हक़ नहीं

तेरे इश्क में खाना सीख लिया मैने दूध और दही
इन आंखों को, तेरे सपने देखने का, हक़ नहीं

तेरी आंखों में घुम जाती, मेरी निगाहें भी कहीं
इन आंखों को, तेरे सपने देखने का, हक़ नहीं

जाने कितनी काग़ज़ की कश्तियां उम्मीद में ढही
इन आंखों को, तेरे सपने देखने का, हक़ नहीं

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29 SEP 2020 AT 20:36

मेरे दिल की धड़कन तो सुनाई देती होगी तुझे
अचानक सरसराहट महसूस होती होगी न तुझे

कहने को बहुत है दिल में, कहता नहीं लेकिन
ए- बेखबर मेरी भी ज़रूरत, होती होगी न तुझे

तकदीर से तन्हाइयां है मेरी बाहों में लेकिन
बाहें तेरी भी मेरे बिन, दर्द देती होंगी न तुझे

चाहा है इस दिल ने टूट कर पल पल इस कदर
नुकीले टुकड़ों की चुभन, दुखती होगी न तुझे

इतमिनान बरसों तक रखा है तुझ पर मैंने
तेरे खयालों में भी, याद आता होगा न तुझे

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24 SEP 2020 AT 18:23

तेरी बढ़ती इन उम्मीदों से
मेरा भी दम निकलता है
हम दोनों की तकदीरों से
दोनों को गम मिलता है

मैं बंजर हूं नहीं माटी हूं
तू रोंध के मूरत बनाएगा
मैं भावों की एक घाटी हूं
तू जिस में ना रह पाएगा

मिलना जुड़ना था भाग में
पर मुझसे हाथ मिलाएगा
और क्या रखा है राग में
तू सरगम तो मुझे सुनाएगा

इन अधरों की भीषण ज्वाला
सुघाती, मुझे जलाती है
और आंखों में इतनी हाला
मुझे दूर से नशा कराती है

मैं खो जाऊं जो तुझमें
क्या फिर खुदको पाऊंगा
कहीं फिर तेरी चाहत में
मैं दिल से फना हो जाऊंगा...

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22 SEP 2020 AT 21:43

Confined in the boundaries of two rooms,
Our relation breathed it's all
We met for that one drastic deadly fall
It started so slow pleasant and sweet
To recieve the final blow never to meet
Evenings divine murmured, grace, caress and touch
How could I tell you I loved you so much
A packet of crisps, a friendship so lose
From end to end your eyes were booze
The dread lied every weekend
Saturday demons did send
A message of your failure
Of disgust and shame
For you said you loved
Some other beautiful name
And came the sunday night
When I wished to hold you so tight
The sparks went to the sharks
As I saw those red marks
Devastated, destroyed I asked
Your lust was always masked
I died a million deaths
Cried deeply under my breaths
Till you took the same route
And then there was no doubt
I set fire to my wonderland
And decided, alone I was to stand...

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22 SEP 2020 AT 20:37

कल तक बिस्तर पर हम,
कितनी बातें करते थे।
कभी खुशी, कभी गम,
मिलते और बिछड़ते थे।।

आज उस बिस्तर पर,
सन्नाटे पसरते हैं।
तुम बिन हम पर,
हर पल में मरते हैं।।

सुर्ख सुर्ख सी आंखों से,
बस यादें बहती जाती हैं।
मेरी इन हथेलियों से,
रेखाएं उड़ा ले जाती हैं।।

कैसे फिर उम्मीदों से
ये फासले कम कर दूं?
जी करता है एक पल,
थोड़ा जीलूं थोड़ा मर लूं।।

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12 SEP 2020 AT 10:28

नसीब में नहीं था बस साथ तेरा,
पकड़ना चाहा सिर्फ हाथ तेरा।

तेरे लबों से मेरे नाम की वो धुन,
लहराती वाणी स्वरों को चुन चुन।

भीगी भीमी मुस्कानों की वो नमी,
महसूस होती है बस अब तेरी कमी।

छुईमुई सी नाज़ुक रेशम सी कोमल,
फिर भी न देखा मैंने तेरा मनोमल।

वो चंचल स्वभाव, प्यार की पुकार,
जाने कब बदली, बन गई दुत्कार।

तुझे झूठा न्याय दिलवाता मेरा नसीब,
छुपा के रखा था तूने, अपना एक रकीब।

भांपी नहीं मैंने, कभी तेरी कोई खोट,
आज मेरा नसीब दे रहा है, ये कैसी चोट।

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