22 APR 2018 AT 18:14

अब नहीं वो बहारों के दिन
जब फूल और कलियों के
गुच्छे मुस्कुराते थे

तपती हवा
अब हर घडी
बस तिलमिलाती है

जल गई वो खुशबुएँ
जो,तुमको छूकर मेरे
नज़दीक आती थी

चुराकर लेगया
पतझड़ सब,
मौसम की रंगत को

सारे पेड़ के पत्तों पे
शातिर नाम
अपना लिख गया !

- ©सैनी जी 💔