मैं बोलता तो हूँ मगर अब बताना छोड़ दिया है, चाहता भी हूँ बस अब जताना छोड़ दिया है, और जो पूछते हैं कि इतना खुश कैसे रह लेता हूँ मैं, वो भी जान ले, की मैंने दूसरों के लिए अब खुद को सताना छोड़ दिया है।
चला जाऊँ तुम्हारी ज़िन्दगी से तो शायद तुम्हें ग़म ना होगा, तुम्हारे चाहने वाले कुछ लोगों में सिर्फ एक नाम ही तो कम होगा, और तुमने प्यार किया था कभी मुझसे शायद, मान लूँगा की ये भी मेरा कोई वहम होगा।
मेरी हर मुस्कराहट को तुम मुस्कान मत समझना, तुमको कह दिया है जान अपनी तो खुद को मेरा मान मत समझना, तुम्हारा था कभी पर अब कभी तुम्हारा हो नहीं सकूँगा, इस सच्चाई से तुम खुद को अनजान मत रखना, की मुझे बाकियों के जैसा समझने की भूल मत करना।
बुरा होना भी ज़रूरी है इस ज़माने में, सिर्फ़ अच्छाई यहाँ काफ़ी नहीं, पर उससे भी पहले एक बात याद रखना, की कुछ गलतियाँ ऐसी भी होतीं हैं जिनकी कोई माफ़ी नहीं ।
अपनी गलतीयों का एहसास हो गया है उसे, मेरी ज़िन्दगी में वो फिर से वापस आना चाहता है, अरे! अब उस नादान को कौन समझाये, मेरे अन्दर जो "मैं" है ना, ये अब मुझे "आजा़द" चाहता है।