Chanchal Choudhary   ('जोयस्ती')
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Joined 22 October 2017


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Joined 22 October 2017
2 MAR AT 23:51

अपने दिल को तुम तक लाने में
कई फसाने हैं मेरी जाँ मर जाने में

तुमको क्या मालूम क्या गुज़री
मैं जानूँ खुद को तुम तक लाने में

हथलियाँ छिलवायी अपनी मैंने
तुम्हें हाथों की लकीरों पे बसाने में

हमनें तो इक पल न लगाया था
तुमको क्यूँ वक़्त लगा अपनाने में

सिर फोड़ा था हमनें ही पत्थर से
देर कर दी तुमने हमें ये बताने में

तुम न आने थे न आओगे जानते हैं
लाश उठाओ क्यूँ देरी है ले जाने में

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1 MAR AT 23:28

कितना लिखा मैंने कितना बाक़ी छोड़ दिया
तुम तक आते हुए लहज़ा अपना छोड़ दिया

कितना कहना था कितना समझाना था कि
कमतर क्यूँ रहो तुम के सबने मुँह मोड़ दिया

कब तक खुद को फेंकोगे पिजरों में माँस सा
वो नोचेंगें इतना कि हड्डी को ही छोड़ दिया

ज़ालिम दुनिया नहीं सारे वो अपने ही तो थे
जिनकी ख़ातिर तो अपना सबकुछ छोड़ दिया

किस दुनिया में हो महाभारत का मैदान है ये
कोई दूजा नहीं अपना कह किसको छोड़ दिया

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28 FEB AT 23:35

जंगल के खूबसूरत फूल
रात के अंधेरे में चमकते जुगनू
राह भटका कोई हिरण
टूटे हुए तारे
किताब में पड़ा बुकमार्क
प्रेमी हृदय की ख़ामोशी
पगडंडी से इतर कोई छोटी सी पगडंडी
अधूरी ख़्वाहिश
..
ये वही भाव हैं
जो शब्द का रूप ले
ढल नहीं पाते कविताओं में
..
जो भाव शब्द का रूप ले
ढल नहीं पाते कविताओं में
उन्हें क्या कहते हैं ??
उसने पूछा था इक दफ़ा

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27 FEB AT 21:47

उम्मीद का टूटना
बस उस इंसान से समझ आता है
जिसको हम 'कुछ' समझ बैठे हैं
वगरना
'उम्मीद' नाम की शय में सारी दुनिया का क्या करना है

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26 FEB AT 21:10

जो कहते हैं
हमें तुम से उस दिन से मोहब्बत है
जिस दिन हमने तुम्हें पहली बार देखा था
और ये मोहब्बत तब तक रहेगी
जब तक मेरी साँस चलेगी
..
यक़ीन मानिए
वो सच कहते हैं
जिस नज़र से देख उन्हें मोहब्बत हुई
वो ईश्वर ने उस वक़्त बस उन्हें ही दी
और जिस आख़िरी साँस तक कि बात वो करते हैं
वो भी उन्हीं को दी है ईश्वर ने
..
ईश्वर की किताब में कोई दोहराव नहीं है
उसके रचे सभी प्राणी .. अपने आप मे उम्दा हैं
कुछ समानता वाज़िब है
फ़िर भी सबसे अलहदा
तो यक़ीन मानिए सच कहते हैं वे लोग

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24 FEB AT 22:39

कि हम फिर फिर घिर आएंगे
..
जहाँ तुम बैठे थे जहाँ मैं
हम दोनों ने खुद को वहीं छोड़ दिया
और निकल आये अपनी दुनिया से
अपनी अपनी दुनिया की ओर
इस अनकहे से वादे के साथ
कि हम फिर फिर घिर आएंगे
बादलों की तरह , बरसेंगे बन मेघ
बहेंगे व्याकुल ह्रदय के भाव
लिपटेगी फिर उदासी हमसे
मुस्कुरा कर करेंगे हम जिसको परे
(काव्यांश)

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24 FEB AT 0:11

ताज़्जुब न करना कि
वक़्त के थपेड़ों में
लोग हँसना छोड़ देते हैं
और मैंने
रोना छोड़ दिया

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23 FEB AT 11:27

तुम पूछोगे वो टाल देगी
तुम ज़ोर दोगे कि वो कुछ कहे
वो हरगिज़ नहीं कहेगी
कहना लड़कियों की फितरत नहीं है
ओ लड़के !! तुम्हें समझना होगा
फिर शब्द देने होंगे उसकी खामोशी को
..
वो कहेगा कुछ
मतलब कुछ और होगा
तुम सुन लोगी वो मुस्कुरा देगा
सही अर्थ कहना लड़कों की फितरत नहीं है
ओ लड़कियों !! तुम्हें समझना होगा
फिर शब्द देने होंगे उसके भावों को
©जोयस्ती







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22 FEB AT 23:19

आँसुओं का छलक जाना ही रोना नहीं होता
नहीं होता हर दफ़ा रोने में आँसुओं का होना
आँखें जानती हैं सब ..

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21 FEB AT 23:29

मैं समझती रही मैंने गढ़ी भाषा
अब जानती हूँ भाषा ने मुझे गढ़ा

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