क्या लिखूँ तुम्हारे बारे में...
इसी सोच में, मैं आज फिर
रातो के अंधियारे में...
क्या लिखूं तुम्हारे बारे में..
सोचा गुज़रा कल लिखूँ ...
या तुम संग बीते कुछ हंसी के पल लिखूं ।
लिखूँ तुम्हारी झील-सी आँखें ...
या लिखूँ तुम्हारी प्यारी सी बातें ।
लिखूँ तुम्हारा सुन्दर तन ...
या लिखूँ तुम्हारा चंचल सा मन ।
लिखूँ मैं अपनी दिल की धड़कन...
या लिखूँ मैं तुम बिन सूखा है सावन ।
लिखूँ जो तुमसे कह ना पाया ...
या लिखूँ स्वप्न आँखों में जो अब तक समाया ।
लिखूँ मुझसे जो ग़लती हो गयी उसकी माफी ..
या लिखूं मैं तेरा मुझसे ठीक से बात ही करना था ,
मेरे लिये काफी ।
लिखूं क्या तुझे मैं अलविदा ...
या लिखूं मैं तुझे फिर से मेरी अप्सरा ।
इन सब बातों को सोच-सोच के
आज मैं फिर ...
रोतो के अंधियारे में ...
की क्या-क्या नहीं लिखूँ मैं तुम्हारे बारे में।।
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