पैर खोलो तो धरती अपनी
पंख खोलो तो आसमां..
पैर अपनी पंख अपनी चलो दौड़ो चाहे उड़ो...
पा लो अपने सपनों का जहां..
ना है तुझे हारना कभी ना तुझे रुकना या थकना कभी,
जब तक पाकर मंजिल बना न लो अपना प्यारा सा आशियां
तुझसे कितनो की आस हैं....
मां बाप व बड़ों के स्नेह तुम्हारे पास है...
फिर क्या सोचना कभी...
फिर क्यों रुकना कभी...
छू ले पर्वत की ऊंचाइयों को और बना ले अपना नाम
जलने वाले जलते रहेंगे करता रह अपना तू काम...
करना है तुझे कुछ अपनो के लिए
लड़ना है तुझे अपने सपनो के लिए...
मरना नही बिना तुझे बिना नाम किए
चल उठ, दौड़, लड़ और जारी रख अपने उड़ान को
एक दिन आएगा जब छुएगा तू आसमां को....
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