एक अजब कमाई
पैसा, धन ,दौलत और शोहरत बहुत कमाई ।
पर ये भी जायदा काम न आई ।
जिंदगी दूर, और मौत दरवाजे पे खड़ी ।
अब टूटने लगी है सांसों की कड़ी ।
घुमा मैं हर कूचा, शहर और गली,
आखिर ढूंढा ही लिया मौत ने
इसने भला कैसे चाल चली ।
अब लेने ही पड़ेगी यहां से विदाई ।
पैसा, धन ,दौलत और शोहरत बहुत कमाई ।
गिला न कर, गले लगा ले,
शिकवा कैसा, शीश झुका ले ।
अपनो से भला कैसे रुसवाई ।
पैसा, धन ,दौलत और शोहरत बहुत कमाई ।
कमाना था तो प्यार कमाता,
अपनो को वक्त देता, और वफा कमाता ।
न कर पाएगा यहां अपने कर्मो की भारपाई,
पैसा, धन ,दौलत और शोहरत बहुत कमाई ।
बोनी भगत
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