17 AUG 2017 AT 12:46

अंगार हो, चिराग हो,
या सूरज ही क्यों न हो,
चमकने के लिये
जलना तो पड़ता ही है।

अरे नहीं नहीं,
रुको तनिक;
जुगनूँ भी तो चमकता है!
परवरदिगार मेहरबान है,
कुछ भी हो सकता है!

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- BISWAJIT Mukhopadhyay