authorBISWAJIT   (BISWAJIT Mukhopadhyay)
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Joined 4 June 2017


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18 HOURS AGO

अगर बढ़ सके हम,
मंज़िल से प्यार है
तो रुके ना कदम।

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20 HOURS AGO

,
जाने कैसे
छेड़ गई बीती बात।

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YESTERDAY AT 9:06

लगन हो तो समय यही है।


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YESTERDAY AT 9:02

Become taut and tough.



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17 APR AT 15:20

:
ख़ुद पर यकीन हो तो
लकीरों की क्या बात है,
तकदीर तो हाथ है।

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17 APR AT 14:59

गर मंज़िल बन जाए मुकर्रर,
दौलत-शोहरत आप की ख़ातिर
हाज़िरी भरेंगी आके दर पर।

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16 APR AT 14:36

Lure billion tries,
Fail to grasp the sky
Twist around and dry.

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15 APR AT 14:22

रह पाएँ जो सख़्त,
नसीब ख़ुद बन जाए उन के
सेबक, परमभक्त।

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12 APR AT 15:22

तो मिलेगा आख़िरकार
अपने दर्शन में,

सौहार्द की करो तलाश
वो मिलेगा निर्विचार
अनुराग बर्षण में।

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12 APR AT 15:05

गए हम
तो लोगों ने कहा, "खरा सोना!
मासूम, बेचारा अलंकार नहीं बनेगा"

तभी दिल ने दिया मरहम,
"मिलावट के दिग्गजों, देखना,
तुम्हारे अलंकार में सोना ही नहीं बचेगा!"

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