Bishnupriya Mahapatra   (Bishnupriya)
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Joined 13 January 2018


Joined 13 January 2018
1 FEB 2023 AT 13:21

खाली हो जातीं हैं सपनों की अलमारियां,
दहेज़ों के संदूक भरने के लिए ।

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12 JUN 2022 AT 22:30

କିଛି ସମ୍ପର୍କ ନଥିବା ମଣିଷଟାକୁ ଆଜି ପଚାରିଦେଲି...
ମୁଁ କିଏ ତମର?
ହସି ଦେଇ କହିଲେ,
"ତମେ ମୋ ପ୍ରତିଫଳନ"....

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26 MAY 2022 AT 1:11

कैसे अलग किया मुझे,
अपनी सुबह, शाम से,
अपनी रात से...
अपनी धूप, छाओं से,
बरसात से...
अपने गम, आँसू से,
मुस्कान से...
अपने सबलों, जवाबों से
खयालों से...
अपने शेरों, शायरी से
कविताओं से...
बता भी दो एक बार...
कैसे अलग किया मुझे
अपने यादों से, बातों से,
अपने रूह से, दिल से,
और अपने आप से....

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24 APR 2022 AT 23:38

हर सिद्धार्थ जो गया बुद्ध बनने...
कोई यशोधरा करती रही उसकी प्रतीक्षा,
अनंत तक...

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19 APR 2022 AT 22:48

तुमसे प्यार मैं कुछ ऐसे करूँगी,
तुम तपना सूरज बनकर
मैं गुलमोहर बन खिलती रहूंगी...

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17 APR 2022 AT 23:02

खाली की हैं आज तिजोरी मेरे अलमारी की..
सम्भाल के रखनी हैं यादें तेरी...

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13 APR 2022 AT 23:34

देखा है कभी फूलों से भरा हुआ पेड़ वसंत में...
हर डाली उसकी लदी होती हैं फूल और कलियों से....
पत्ते भी नज़र नहीं आते....
जैसे प्रेम से भरा होता है किसी का जीवन...
ग़म नज़र नहीं आते...
फिर वसंत के बाद आती है तपती हुई धूप...
फूल सारे अलग हो जाते हैं डाली से...
कुछ सूख जाते हैं, कुछ जल जाते हैं...
सूना हो जाता है पेड़...
जैसे जीवन प्रेम के बीना हो जाता है...
आँखे सूख जाती हैं, मन जल जाता है...

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9 APR 2022 AT 13:22

मर गईं बचपन की ख्वाहिशें
जवानी आते आते....

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9 APR 2022 AT 12:13

कोरे कागज़ पे बस लिख सकी तेरा नाम,
इस से खूबसूरत नज़्म आई नहीं मुझे...

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8 APR 2022 AT 23:58

शब्दों की जरूरत नहीं मुझे...
मेरी खामोशी तुम अक्सर सुन लेते हो...

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